Friday, August 22, 2025
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बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर अत्याचार जारी, दिनाजपुर में हिंदू नेता की पीट-पीटकर हत्या, प्रधानाध्यापक को पद से जबरन हटाया

बांग्लादेश: बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रहे अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। ताजा मामला दिनाजपुर जिले से सामने आया है, जहां हिंदू समुदाय के प्रतिष्ठित नेता भबेश चंद्र का दिनदहाड़े अपहरण कर बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई।

भबेश चंद्र, जो बांग्लादेश पूजा उत्सव परिषद की बिराल इकाई के उपाध्यक्ष भी थे, गुरुवार को दिन में अपने घर पर मौजूद थे। उनकी पत्नी शांतना राय के अनुसार, दो मोटरसाइकिलों पर सवार चार लोगों ने उनके घर में घुसकर भबेश का अपहरण कर लिया।

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प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हमलावरों ने भबेश को पास के नरबारी गांव में ले जाकर क्रूरता से मारा। बाद में एक वैन में बेहोशी की हालत में उन्हें घर वापस छोड़ दिया गया। परिजनों ने तुरंत उन्हें बिराल उपजिला स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, जहां से उन्हें दिनाजपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर किया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

प्रधानाध्यापक कांतिलाल आचार्य को बंधक बनाकर दिलवाया गया त्यागपत्र

इस बीच, चटगांव के भटियारी हाजी तोबारक अली चौधरी हाई स्कूल में कार्यवाहक प्रधानाध्यापक के पद पर तैनात कांतिलाल आचार्य, जो हिंदू समुदाय से हैं, को भी एक भयावह स्थिति का सामना करना पड़ा।

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो के अनुसार, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और उसके सहयोगी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने उन पर भ्रष्टाचार के झूठे आरोप लगाकर न केवल शारीरिक हमला किया, बल्कि उन्हें बंधक बनाकर त्यागपत्र देने के लिए मजबूर किया।

कांतिलाल की बेटी भावना आचार्य ने इंटरनेट मीडिया पर लिखा:

“मेरे पिता को कोई आरोप सिद्ध किए बिना जबरन इस्तीफा दिलवाया गया। इससे पहले उन्हें स्कूल न आने की धमकी दी गई थी और अपमानित करने की बात कही गई थी। उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है।”

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बढ़ते अत्याचार पर चिंता और सवाल

बांग्लादेश में पिछले कुछ वर्षों से हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, जिससे मानवाधिकार संगठनों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता बढ़ रही है।

भबेश चंद्र की हत्या और कांतिलाल आचार्य के साथ हुए व्यवहार से यह स्पष्ट होता है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और न्याय प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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