नई दिल्ली: लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कांग्रेस के आपातकाल के समय के निर्णयों और संविधान के साथ किए गए कथित खिलवाड़ का उल्लेख करते हुए विपक्ष पर कटाक्ष किया। इस दौरान समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और सांसद डिंपल यादव के हंसने का दृश्य भी चर्चा का विषय बन गया।
आपातकाल का जिक्र और सपा नेताओं की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में आपातकाल की घटनाओं को याद दिलाया। उन्होंने कहा, “आपातकाल के दौरान निर्दोष लोगों को जेल में डाल दिया गया था। लाठियां बरसाई गईं और कई लोग जेल में ही दम तोड़ गए। एक निर्दयी सरकार संविधान को चूर-चूर करती रही।” इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि लोकसभा में बैठे कई दलों के मुखिया भी कभी जेल में थे। उनकी इस टिप्पणी पर अखिलेश यादव जोर से हंस पड़े, और उनके पीछे बैठीं डिंपल यादव भी हंसी में शामिल हो गईं।
कांग्रेस पर तीखे आरोप: ‘संविधान की अवहेलना का खून’
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कांग्रेस पर सीधे निशाना साधते हुए कहा, “कांग्रेस के मुंह में संविधान की अवहेलना का खून लग चुका है।” उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस ने कभी भी संविधान की मर्यादा का सम्मान नहीं किया। उन्होंने भाजपा की सरकार को संविधान की मूल भावना के प्रति प्रतिबद्ध बताया और विपक्षी दलों द्वारा लगाए गए आरोपों को पूरी तरह खारिज किया।
प्रधानमंत्री ने कहा, “संविधान में देश की एकता, अखंडता और जनहित सबसे महत्वपूर्ण हैं। हमारी सरकार का हर कदम इसी दिशा में है।” उन्होंने संविधान बदलने के विपक्षी नैरेटिव को सिरे से नकारते हुए भाजपा की नीतियों को संविधान के अनुरूप करार दिया।
गांधी परिवार पर गंभीर आरोप
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में गांधी परिवार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “कांग्रेस अपने माथे से आपातकाल का पाप नहीं मिटा सकती।” उन्होंने दावा किया कि 1951 में नेहरू सरकार ने संविधान में संशोधन किया, जब वह सरकार चुनी भी नहीं गई थी। नेहरू ने राज्यों को पत्र लिखकर कहा था कि अगर संविधान उनके रास्ते में आएगा, तो उसे बदल दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि उस समय राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने नेहरू को चेतावनी दी थी कि यह गलत हो रहा है। उन्होंने कांग्रेस पर लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करने और सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाया।