जबलपुर, मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक असामान्य फैसले में जबलपुर निवासी फैजल निसार को जमानत देते हुए उसे राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देने और ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाने का आदेश दिया है। निसार पर आरोप था कि उसने ‘पाकिस्तान जिंदाबाद, भारत मुर्दाबाद’ के नारे लगाए थे। न्यायालय ने उसकी जमानत के लिए 50,000 रुपये के निजी मुचलके और उतनी ही राशि की सॉल्वेंट जमानत की शर्त लगाई, साथ ही निसार को यह आदेश दिया गया कि वह महीने में दो बार भोपाल के मिसरोद पुलिस थाने में रिपोर्ट करे।
न्यायालय का आदेश और आरोपी का पश्चाताप
15 अक्टूबर, 2024 को दिए गए इस निर्णय के तहत निसार को हर महीने के पहले और चौथे मंगलवार को सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच मिसरोद पुलिस स्टेशन में हाज़िर होना होगा। जमानत की शर्तों के अनुसार, उसे 21 बार राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देनी होगी और ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाना होगा। फैजल निसार ने अपनी गलती को स्वीकारते हुए पश्चाताप व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “भारत माता की जय। मैंने गलती की है और मैं उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करूंगा।” निसार ने यह भी कहा कि वह अब दोबारा ऐसी गलती नहीं करेगा और दूसरों को भी इस तरह के कृत्यों से दूर रहने की सलाह दी।
आरोपी द्वारा अदालत के आदेशों का पालन
मिसरोद पुलिस स्टेशन के प्रभारी मनीष राज भदौरिया ने पुष्टि की कि निसार ने अदालत के आदेशों का पालन किया। 15 अक्टूबर को जमानत मिलने के बाद, निसार पहली बार पुलिस स्टेशन में हाज़िर हुआ। “उसके लिए निर्धारित शर्तों के अनुसार यह पहला मंगलवार था। आरोपी ने समय पर आकर 21 बार राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दी और ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाया,” मनीष राज भदौरिया ने कहा। उन्होंने यह भी बताया कि निसार को मुकदमे के समापन तक हर महीने के पहले और चौथे मंगलवार को इसी तरह रिपोर्ट करना होगा।
आरोप और वीडियो का मामला
फैजल निसार का मामला तब सामने आया था जब एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें उसे ‘पाकिस्तान जिंदाबाद, भारत मुर्दाबाद’ के नारे लगाते हुए देखा गया था। यह वीडियो एक सार्वजनिक स्थान पर बनाया गया था, जिसके बाद निसार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई। निसार ने अदालत में अपनी गलती स्वीकारते हुए कहा कि वह भावनाओं में बहकर यह नारे लगा बैठा और अब वह अपने किए पर पछता रहा है।
जमानत शर्तों में बदलाव की अपील
फैजल निसार के वकील ने अदालत से यह भी अपील की थी कि उसे अपने परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण जमानत शर्तों में कुछ रियायत दी जाए, लेकिन न्यायालय ने उसे कठोर अनुशासनात्मक शर्तों के साथ ही जमानत प्रदान की। न्यायालय ने अपने फैसले में यह स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार की देशविरोधी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, लेकिन सुधार की गुंजाइश को ध्यान में रखते हुए निसार को यह अवसर दिया गया है।
न्यायालय के आदेश का सामाजिक प्रभाव
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के इस निर्णय ने कानूनी और सामाजिक रूप से एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। यह फैसला दर्शाता है कि कानून न केवल सजा देने के लिए है, बल्कि सुधार का अवसर भी प्रदान करता है। साथ ही, इसने यह भी साफ किया है कि देशविरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों को उनकी गलतियों का एहसास कराने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।
इस फैसले को लेकर स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हो रही है, और यह एक मिसाल बन सकता है कि कैसे कानून का पालन कराने के साथ-साथ राष्ट्रप्रेम का संदेश भी दिया जा सकता है।