अमेरिका: जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के बैसरन घाटी, जो कि एक प्रमुख पर्यटक स्थल है, वहां मंगलवार को आतंकवादियों द्वारा किए गए अंधाधुंध हमले में 28 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी गई। यह हमला पिछले 20 वर्षों में कश्मीर में हुआ सबसे घातक आतंकी हमला माना जा रहा है। हमलावरों ने पर्यटकों और स्थानीय नागरिकों को निशाना बनाया, जिससे क्षेत्र में भारी दहशत फैल गई।
घटना के तुरंत बाद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस हमले की निंदा की गई और भारत में राजनीतिक, सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर त्वरित प्रतिक्रियाएं देखी गईं।

भारत की सख्त कूटनीतिक प्रतिक्रिया: सिंधु जल संधि खत्म, वीजा छूट योजना निलंबित
भारत सरकार ने हमले के कुछ ही घंटों में कठोर कदम उठाते हुए:
- अटारी एकीकृत चेक पोस्ट (ICP) को अस्थायी रूप से बंद कर दिया।
- SAARC वीज़ा छूट योजना को पाकिस्तानी नागरिकों के लिए तत्काल प्रभाव से निलंबित किया।
- भारत-पाक उच्चायोगों में अधिकारियों की संख्या में कटौती की घोषणा की।
- सबसे महत्वपूर्ण फैसला रहा – 1960 की सिंधु जल संधि को समाप्त करना, जिसके तहत भारत ने स्पष्ट किया है कि अब सिंधु नदी का पानी पाकिस्तान में नहीं जाने दिया जाएगा।
भारत सरकार के इन निर्णयों को पाकिस्तान के खिलाफ रणनीतिक दबाव के रूप में देखा जा रहा है, और यह संदेश देता है कि आतंकवाद को समर्थन देने की कोई भी कीमत चुकानी होगी।

डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणी: हमला ‘बहुत बुरा’, भारत को दिया समर्थन
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले को लेकर एयरफोर्स वन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए इसे “बहुत बुरा हमला” करार दिया। उन्होंने कहा:
“मैं भारत और पाकिस्तान दोनों का करीबी हूं। कश्मीर का संघर्ष हजारों वर्षों से चला आ रहा है, लेकिन यह हमला बेहद चिंताजनक है। मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की और अमेरिका का पूर्ण समर्थन व्यक्त किया।”
#WATCH | On #PahalgamTerroristAttack, US President Donald Trump says, "I am very close to India and I'm very close to Pakistan, and they've had that fight for a thousand years in Kashmir. Kashmir has been going on for a thousand years, probably longer than that. That was a bad… pic.twitter.com/R4Bc25Ar6h
— ANI (@ANI) April 25, 2025
ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान से संयम बरतने की अपील की और उम्मीद जताई कि दोनों देश इस संघर्ष को अपने-अपने ढंग से सुलझाएंगे।
उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारत-पाक संबंध एक संवेदनशील मोड़ पर हैं। इससे यह भी संकेत मिलता है कि अमेरिका अब भी दक्षिण एशिया में स्थिरता और शांति की दिशा में सक्रिय भूमिका निभाना चाहता है।