पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामला: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पतंजलि, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण द्वारा विवादित विज्ञापनों के मामले में दायर माफीनामे को खारिज कर दिया। न्यायालय ने कहा कि यह माफीनामा सिर्फ खानापूर्ति के लिए है और जानबूझकर किए गए अपराध का हल्के में लेने का प्रयास है।
अदालत की अवमानना
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच ने कहा, “हम आपके हलफनामे को स्वीकार करने से इनकार करते हैं। यह स्पष्ट है कि आपने जानबूझकर गलत काम किया है और बार-बार हमारे आदेशों का उल्लंघन किया है।”
पतंजलि को कार्रवाई के लिए तैयार रहने का निर्देश
कोर्ट ने पतंजलि को चेतावनी देते हुए कहा, “आपने कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है। इसलिए कार्रवाई के लिए तैयार रहें।”
माफीनामा की कहानी
2 अप्रैल को पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट में माफीनामा जमा किया था। 9 अप्रैल को बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने एक और एफिडेविट फाइल किया, जिसमें बाबा रामदेव ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए इसे दोबारा नहीं दोहराने का वादा किया था।
बाबा रामदेव ने अपने माफीनामे में कहा:-
“मैं विज्ञापनों के मुद्दे के संबंध में बिना शर्त माफी मांगता हूं।”
माफीनामा
“मुझे इस गलती पर गहरा अफसोस है और मैं अदालत को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इसे दोहराया नहीं जाएगा।”
“21 नवंबर 2023 को कोर्ट के आदेश के उल्लंघन पर भी मैं माफी मांगता हूं।”
“मैं हमेशा कानून और न्याय की गरिमा को बनाए रखने का वचन देता हूं।”
IMA के आरोप
2022 में, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पतंजलि आयुर्वेद पर एलोपैथी के खिलाफ गलत सूचना फैलाने और योग के माध्यम से मधुमेह और अस्थमा को “पूरी तरह से ठीक” करने का गलत दावा करने का आरोप लगाया था।
कोरोनिल विवाद
कोरोना महामारी के दौरान, बाबा रामदेव ने दावा किया था कि उनकी कंपनी की दवा “कोरोनिल” कोरोना का इलाज कर सकती है। बाद में, आयुष मंत्रालय ने पाया कि ऐसे दावे सही नहीं हैं और इस तरह से प्रचार करने पर रोक लगा दी।
विवादित विज्ञापन मामला
यह मामला 2021 में शुरू हुआ था जब पतंजलि ने अपने कुछ उत्पादों के लिए विज्ञापन जारी किए थे, जिनमें दावा किया गया था कि वे विभिन्न बीमारियों का इलाज कर सकते हैं। इन विज्ञापनों को भ्रामक और गलत सूचना फैलाने वाला माना गया था।