झुंझुनूं: जिले में पंचायत पुनर्गठन को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। चिड़ासन गांव के ग्रामीणों ने अमरपुरा को ग्राम पंचायत घोषित किए जाने के प्रशासनिक निर्णय को मनमाना और राजनीतिक द्वेष से प्रेरित बताते हुए विरोध शुरू कर दिया है। ग्रामीणों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि चिड़ासन को ग्राम पंचायत घोषित नहीं किया गया, तो वे आगामी पंचायत चुनावों का बहिष्कार करेंगे। यह मुद्दा अब तेजी से प्रशासनिक और राजनीतिक तनाव का केंद्र बन गया है।
पंचायत संगठन के नए फैसले को लेकर चिड़ासन के ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है। बालाजी मंदिर परिसर में रविवार को बड़ी संख्या में ग्रामीण एकत्र हुए और प्रशासन के इस निर्णय के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों का कहना है कि चिड़ासन की आबादी अधिक है और यहां पंचायत मुख्यालय बनने की सभी योग्यताएं हैं, जबकि अमरपुरा की आबादी बेहद कम है और वहां सरकारी भूमि भी उपलब्ध नहीं है।
ग्रामीणों के अनुसार चिड़ासन से अमरपुरा की दूरी लगभग 4.5 किमी है, जहां परिवहन की सुविधा लगभग न के बराबर है। ऐसे में मूलभूत प्रशासनिक कार्यों के लिए लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। ग्रामीणों ने पुरानी उपेक्षा का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें पहले भुकाना पंचायत में जोड़ा गया, बाद में चनाना में, और अब फिर से निर्णय बदलकर उन्हें वंचित कर दिया गया।
ग्रामीणों का आरोप है कि चिड़ासन को जानबूझकर अधिकारों से दूर रखा जा रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि यह फैसला पूरी तरह राजनीतिक अनियमितता का उदाहरण है।
विरोध सभा के बाद ग्रामीणों ने स्थानीय विधायक राजेंद्र भांबू और जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर इस निर्णय को तुरंत रद्द करने की मांग की। ग्रामीणों का कहना है कि यदि उनकी मांग नहीं मानी गई तो पूरा गांव पंचायत चुनावों से दूरी बनाए रखेगा।
प्रदर्शन के दौरान विनोद महला, पवन पायल, करण सिंह, धर्मचंद, महेंद्र महला, मातूराम, उम्मेद पायल, संजीव कुमार, बहादुर सिंह, रामेश्वर महला, कैलाश योगी, जगदीश, सुनील योगी, राजू जांगिड़, रमन पायल, रोताश जांगिड़, सत्यवीर महला, प्रदीप पायल, महिपाल महला, सुरेश मेघवाल, पुरुषोत्तम जांगिड़, राकेश कुमार, बलबीर महला, छोटू महला, बबलू योगी, जगदीश महरिया, अनिल पायल सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।




