नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में न्यायपालिका पर कार्यपालिका के काम में हस्तक्षेप के लग रहे आरोपों पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। यह टिप्पणी वक्फ अधिनियम के विरोध में पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा पर सुनवाई के दौरान अगले मुख्य न्यायाधीश बनने वाले जस्टिस बीआर गवई ने की।

पश्चिम बंगाल हिंसा पर अधिवक्ता की याचिका
मशहूर अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। अपनी याचिका में अधिवक्ता जैन ने अदालत से गुजारिश की है कि वह केंद्र सरकार को राज्य में अर्धसैनिक बलों की तैनाती करने और बंगाल हिंसा की जांच के लिए एक पैनल गठित करने का आदेश दे। इसके अतिरिक्त, उन्होंने मुर्शिदाबाद में हिन्दुओं के कथित पलायन की रिपोर्ट भी पेश करने की मांग की है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट का रुख
याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बीआर गवई ने अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन से सवाल किया कि क्या वह चाहते हैं कि अदालत राष्ट्रपति को ऐसा करने का आदेश दे। उन्होंने आगे कहा कि पहले से ही न्यायपालिका पर कार्यपालिका के कार्यों में दखलअंदाजी करने के आरोप लग रहे हैं, इसलिए इस मामले में सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
सत्ताधारी दल के बयानों पर नजर
जस्टिस बीआर गवई ने यह भी स्पष्ट किया कि सत्ताधारी दल के नेताओं द्वारा हाल ही में दिए गए बयानों पर सुप्रीम कोर्ट पूरी तरह से नजर रख रहा है।
तमिलनाडु बिल मामला और राजनीतिक प्रतिक्रिया
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में तमिलनाडु सरकार की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राष्ट्रपति और राज्यपाल को यह निर्देश दिया था कि वे किसी भी बिल को अनिश्चित काल के लिए रोक नहीं सकते हैं। इस फैसले पर बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं ने आपत्ति जताई थी।

निशिकांत दुबे का विवादास्पद बयान
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए एक विवादास्पद बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर सर्वोच्च न्यायालय ही सारे निर्णय लेगा तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए। इस बयान के बाद विपक्षी दलों ने निशिकांत दुबे के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।