नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड मामले में बड़ी कानूनी कार्रवाई के तहत राउज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा और अन्य को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर चार्जशीट पर इन नेताओं का पक्ष जानने के उद्देश्य से भेजा गया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि चार्जशीट में नामजद किए जाने से ये लोग केवल आरोपी माने गए हैं, लेकिन न्यायिक प्रक्रिया में इन्हें आरोपी घोषित नहीं किया गया है। अगली सुनवाई की तारीख 8 मई 2025 निर्धारित की गई है।

क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?
नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य स्वतंत्रता संग्राम को समर्थन देना था। समय के साथ यह अखबार एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के अंतर्गत काम करता रहा। ईडी का आरोप है कि कांग्रेस नेताओं ने AJL की 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को एक निजी कंपनी यंग इंडियन लिमिटेड के माध्यम से गलत तरीके से अधिग्रहित किया। यंग इंडियन कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास 38-38 प्रतिशत शेयर हैं।
राउज एवेन्यू कोर्ट की टिप्पणी
विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने कहा कि चार्जशीट पर संज्ञान लेने से पूर्व सोनिया गांधी और राहुल गांधी को अपना पक्ष रखने का अधिकार है। यह निष्पक्ष सुनवाई की प्रक्रिया का मूल आधार है। कोर्ट का कहना है कि न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना आवश्यक है।
ईडी की जांच और चार्जशीट
प्रवर्तन निदेशालय ने 2021 में इस मामले में अपनी जांच शुरू की थी। यह जांच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी की 26 जून 2014 को दायर निजी शिकायत के आधार पर शुरू हुई थी। शिकायत के अनुसार, कांग्रेस नेताओं पर आपराधिक साजिश और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है।

ईडी ने चार्जशीट में आरोप लगाया है कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी, दिवंगत कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडिस, सैम पित्रोदा और यंग इंडियन लिमिटेड ने संयुक्त रूप से AJL की संपत्तियों को अवैध रूप से हस्तांतरित किया और इसका उपयोग निजी लाभ के लिए किया।
बीजेपी का हमला
चार्जशीट दाखिल होने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर तीखा हमला किया। भाजपा प्रवक्ता प्रत्यूष कांत ने कहा,
“नेशनल हेराल्ड जैसी ऐतिहासिक संस्था को सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने निजी लाभ का साधन बना दिया। यह अखबार स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों को दर्शाता था, लेकिन एक परिवार ने उसे अपनी निजी संपत्ति बना लिया।”