Thursday, March 13, 2025
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नेपाल में राजशाही समर्थक रैली में योगी आदित्यनाथ की तस्वीर पर विवाद, राजनीतिक गलियारों में हलचल

नेपाल, काठमांडू: नेपाल की राजधानी काठमांडू में पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह के स्वागत में आयोजित राजशाही समर्थक रैली में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें प्रदर्शित किए जाने के बाद विवाद खड़ा हो गया है। इस घटना के बाद नेपाल के राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है, वहीं सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर व्यापक चर्चा हो रही है।

पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का स्वागत, राजशाही समर्थकों का शक्ति प्रदर्शन

रविवार को 77 वर्षीय पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह जब पोखरा से सिमरिक एयर हेलीकॉप्टर द्वारा त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे, तो राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) के नेताओं और कार्यकर्ताओं सहित सैकड़ों समर्थकों ने उनका जोरदार स्वागत किया। समर्थकों ने ज्ञानेंद्र शाह के समर्थन में नारे लगाए और उनके पक्ष में प्रदर्शन किया।

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रैली का मुख्य उद्देश्य नेपाल में राजशाही की पुनर्बहाली के लिए समर्थन जुटाना था। हवाई अड्डे के बाहर सड़क के दोनों ओर सैकड़ों मोटरसाइकिल सवार समर्थकों ने पूर्व राजा की तस्वीरों और नेपाल के राष्ट्रीय ध्वज के साथ उनका अभिनंदन किया। इस दौरान कुछ समर्थकों द्वारा योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें भी लहराई गईं, जिससे नेपाल की राजनीति में नया विवाद खड़ा हो गया।

योगी आदित्यनाथ की तस्वीर पर नेपाल में विवाद

पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह के साथ योगी आदित्यनाथ की तस्वीर दिखाए जाने पर नेपाल के विभिन्न राजनीतिक दलों और आम जनता ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। सोशल मीडिया पर भी इस घटना को लेकर तीखी आलोचना हुई। कई लोगों ने इसे नेपाल के आंतरिक मामलों में बाहरी प्रभाव डालने का प्रयास बताया।

आरपीपी के प्रवक्ता ज्ञानेंद्र शाही ने इस पर सफाई देते हुए केपी ओली सरकार पर आरोप लगाया कि यह पूरा मामला एक साजिश का हिस्सा था। उन्होंने दावा किया कि यह कदम राजशाही समर्थक आंदोलन को बदनाम करने के लिए उठाया गया है।

केपी ओली सरकार पर आरोप, प्रधानमंत्री ने किया खंडन

आरपीपी प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के मुख्य सलाहकार बिष्णु रिमल के निर्देश पर यह विवादित कदम उठाया गया। उन्होंने कहा कि यह पूरी घटना सरकार द्वारा राजशाही समर्थक आंदोलन को कमजोर करने के लिए सुनियोजित तरीके से कराई गई।

हालांकि, इन आरोपों को प्रधानमंत्री ओली और उनके सलाहकार बिष्णु रिमल ने सिरे से खारिज कर दिया। रिमल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि “यह पूरी तरह से झूठा आरोप है। कुछ अयोग्य लोग गलत सूचना फैलाकर जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं।”

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प्रधानमंत्री ओली ने भी काठमांडू में आयोजित एक कार्यक्रम में इस विवाद पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि “हम अपनी रैलियों में विदेशी नेताओं की तस्वीरों का उपयोग नहीं करते।” हालांकि, उन्होंने योगी आदित्यनाथ का नाम नहीं लिया, लेकिन उनकी टिप्पणी स्पष्ट रूप से इस विवाद की ओर इशारा कर रही थी।

नेपाल में राजशाही की बहाली की मांग तेज

नेपाल में पिछले कुछ समय से राजशाही की पुनर्बहाली की मांग तेज हो रही है। पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के समर्थकों ने काठमांडू, पोखरा सहित विभिन्न शहरों में रैलियां निकाली हैं। वे मांग कर रहे हैं कि 2008 में समाप्त की गई राजशाही को फिर से बहाल किया जाए।

ज्ञात हो कि पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने इस वर्ष जनवरी में उत्तर प्रदेश का दौरा किया था, जहां उनकी योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की खबरें भी सामने आई थीं। हालांकि, इस बैठक के औपचारिक विवरण सार्वजनिक नहीं किए गए थे।

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