नागपुर, महाराष्ट्र: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि वह सार्वजनिक जीवन में जाति और धर्म को महत्व नहीं देते, बल्कि समाज सेवा को सर्वोपरि मानते हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति में रहते हुए भी वह इन विषयों पर चर्चा करने से बचते हैं क्योंकि उनके लिए लोगों की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।
गडकरी नागपुर के ननमुदा संस्थान के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। इस अवसर पर उन्होंने मुस्लिम समाज में शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि अगर इस समुदाय से अधिक संख्या में इंजीनियर, आईपीएस और आईएएस अधिकारी निकलेंगे, तो पूरे समाज का विकास होगा।

जाति और धर्म पर नहीं करते चर्चा: गडकरी
अपने संबोधन में नितिन गडकरी ने कहा, “मैं कभी जाति और धर्म की राजनीति नहीं करता। राजनीति में बहुत कुछ कहा जाता है, लेकिन मैंने यह तय किया है कि मैं अपने सिद्धांतों के साथ काम करूंगा। यह नहीं सोचूंगा कि कौन मुझे वोट देगा और कौन नहीं।”
गडकरी ने जातिगत भेदभाव पर अपनी पुरानी नीति दोहराते हुए कहा, “मैं हमेशा से कहता आया हूं – जो करेगा जाति की बात, उसको मारूंगा लात।” उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने अपने इस रुख को बनाए रखने के लिए चुनाव हारने या मंत्री पद गंवाने तक का जोखिम लिया है।
“मंत्री पद नहीं मिला तो मर नहीं जाऊंगा”
गडकरी ने आगे कहा कि उनके कई सहयोगियों ने उन्हें जाति और धर्म से जुड़ी बातें न कहने की सलाह दी थी, लेकिन उन्होंने अपने विचारों से समझौता नहीं किया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “अगर मैं चुनाव हार भी गया या मुझे मंत्री पद नहीं मिला, तो मैं मर नहीं जाऊंगा।”

मुस्लिम समाज के लिए शिक्षा आवश्यक
गडकरी ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि जब वह महाराष्ट्र विधान परिषद (एमएलसी) के सदस्य थे, तब उन्होंने नागपुर में अंजुमन-ए-इस्लाम संस्थान के इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की अनुमति दी थी। उन्होंने कहा कि उस समय उन्हें महसूस हुआ कि मुस्लिम समाज के युवाओं को शिक्षा के बेहतर अवसर देने की जरूरत है।
उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का उदाहरण देते हुए कहा, “अगर मुस्लिम समाज से अधिक संख्या में इंजीनियर, आईपीएस और आईएएस अधिकारी निकलेंगे, तो पूरे देश को लाभ मिलेगा। शिक्षा की शक्ति जीवन और समुदायों को बदल सकती है।”