Thursday, June 19, 2025
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धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर का उपयोग मौलिक अधिकार नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के उपयोग को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पूजा स्थलों पर प्रार्थना के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करना किसी व्यक्ति का कानूनी अधिकार नहीं है। न्यायालय ने कहा कि यह अन्य लोगों के लिए असुविधा का कारण बन सकता है, इसलिए इसे मौलिक अधिकार के रूप में नहीं माना जा सकता।

मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाने की याचिका खारिज

यह निर्णय पीलीभीत निवासी मुख्तियार अहमद की याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें उन्होंने मस्जिद में पुनः लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति मांगी थी। जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस डोनादी रमेश की खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि धार्मिक स्थल मुख्यतः ईश्वर की उपासना के लिए होते हैं, न कि ध्वनि विस्तारक उपकरणों के उपयोग के लिए।

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लाउडस्पीकर से अन्य लोगों को हो सकती है असुविधा

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि लाउडस्पीकर के इस्तेमाल से आसपास रहने वाले लोगों को परेशानी हो सकती है। धार्मिक स्थलों पर ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है, विशेषकर जब इससे अन्य नागरिकों की शांति भंग होती हो। अदालत ने स्पष्ट किया कि किसी भी धर्म के अनुयायियों को प्रार्थना करने की स्वतंत्रता है, लेकिन यह स्वतंत्रता दूसरों की शांति और अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकती।

कोर्ट ने ‘लोकस स्टैंडी’ का दिया हवाला

सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता मुख्तियार अहमद न तो संबंधित मस्जिद के मुतवल्ली (प्रबंधक) हैं और न ही उनके पास इसके संचालन से संबंधित कोई अधिकार है। कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के पास याचिका दाखिल करने का ‘लोकस स्टैंडी’ (किसी कानूनी प्रक्रिया में शामिल होने या मुकदमा दर्ज करने का अधिकार) नहीं है। इसलिए, उनकी याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती।

पहले भी आ चुके हैं ऐसे फैसले

कोर्ट ने अपने फैसले में मई 2022 के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि पहले भी हाईकोर्ट यह स्पष्ट कर चुका है कि मस्जिदों से लाउडस्पीकर बजाना मौलिक अधिकार नहीं है। यह फैसला यूपी में योगी सरकार द्वारा धार्मिक स्थलों पर ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए उठाए गए कदमों के अनुरूप है। सरकार ने व्यापक स्तर पर कार्रवाई करते हुए कई धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटा दिए थे या उनकी ध्वनि सीमित कर दी थी, ताकि ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके।

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