धनतेरस 2024: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाने वाला धनतेरस पर्व, दीपावली के पांच दिवसीय महोत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। इस शुभ दिन पर लोग भगवान धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, साथ ही समृद्धि के प्रतीक के रूप में सोना, चांदी और बर्तन आदि की खरीदारी करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि इस दिन अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए यह पर्व धनतेरस या धनत्रयोदशी तिथि के रूप में प्रसिद्ध है।
धनतेरस के अवसर पर पूजा के साथ-साथ दक्षिण दिशा में यमराज के लिए दीपदान की परंपरा है। मान्यता है कि ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
धनतेरस पर क्या-क्या खरीदें
धनतेरस पर सोना-चांदी, तांबे के बर्तन, झाड़ू, नमक, धनिया के बीज, और लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति जैसे शुभ वस्त्रों को खरीदना सौभाग्यशाली माना जाता है। मान्यता है कि इन वस्तुओं के माध्यम से घर में खुशहाली और धन का आगमन होता है।
धनतेरस पर क्या नहीं खरीदें
धनतेरस पर कांच के बर्तन, प्लास्टिक और एल्युमिनियम से बनी वस्तुएं नहीं खरीदनी चाहिए क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में इन्हें राहु और दुर्भाग्य का प्रतीक माना गया है। इसके अलावा, नुकीली चीजें, काले रंग की वस्तुएं और टूटे हुए सामानों से भी परहेज करना चाहिए।
धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त
धनतेरस के दिन पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 6:31 बजे से रात 8:13 बजे तक है। इस दौरान लोग देवी लक्ष्मी, कुबेर देवता और भगवान धन्वंतरि की विधिवत पूजा करते हैं। धनतेरस पर दीपदान का समय प्रदोष काल में शाम 5:38 मिनट से 6:55 मिनट तक रहेगा। इस दौरान यमराज के लिए दीपदान करना बेहद शुभ माना गया है।
धनतेरस पर सोना-चांदी व वाहन खरीदने के मुहूर्त
- सोना-चांदी: धनतेरस पर सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त 29 अक्टूबर की सुबह 10:31 बजे से 30 अक्टूबर सुबह 6:32 बजे तक है।
- वाहन: धनतेरस पर वाहन खरीदने के लिए 29 अक्टूबर की सुबह 10:41 से दोपहर 12:05 बजे, दोपहर 12:05 से 1:28 बजे, और शाम 7:15 से रात 8:51 बजे तक तीन विशेष मुहूर्त हैं।
धनतेरस पूजा की विधि
- स्नान और शुद्धिकरण: सुबह जल्दी स्नान कर साफ कपड़े पहनें।
- रंगोली: मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं और लक्ष्मी जी के पैरों के निशान बनाएं।
- पूजा सामग्री: भगवान गणेश, माता लक्ष्मी की तस्वीर, गंगा जल, 13 दिए, थाली, लकड़ी की चौकी, कलश, घी, शक्कर, कपूर, धूप, अगरबत्ती आदि।
- षोडोपचार पूजा: लक्ष्मी, कुबेर और भगवान धन्वंतरि की षोडोपचार विधि से पूजा करें और भोग अर्पित करें।
- दीपदान: शाम को सरसों या तिल के तेल का दीपक दक्षिण दिशा में जलाएं।
धनतेरस का पर्व धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है, जिसमें परिवार के सभी सदस्य एक साथ पूजा करते हैं। शुभ मुहूर्तों का पालन करने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है और संपूर्ण वर्ष सुख-शांति बनी रहती है।
धनतेरस की संध्या पर, यमराज के लिए दीपदान की परंपरा का पालन करना अत्यंत शुभ माना गया है। इस वर्ष भी श्रद्धालुओं में इस पर्व को लेकर उत्साह का माहौल है और पूरे देश में धनतेरस की खुशियां मनाई जा रही हैं।