ईरान/इजरायल: मध्य पूर्व में दो सप्ताह से चल रहे संघर्ष को थामने की अमेरिकी पहल पर बड़ा संशय बन गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ईरान और इजरायल के बीच सीजफायर की घोषणा किए जाने के कुछ ही देर बाद ईरान ने इसे स्पष्ट रूप से नकार दिया है। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने बयान जारी कर कहा कि उनके देश ने इजरायल के साथ किसी तरह के युद्धविराम या सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए समझौते पर सहमति नहीं दी है।
अराघची ने कहा कि ईरान फिलहाल किसी भी संघर्षविराम को अंतिम रूप नहीं मानता और मौजूदा हालात में सीजफायर पर अंतिम निर्णय बाद में ही लिया जाएगा। हालांकि उन्होंने संकेत दिया कि अगर इजरायल की तरफ से सैन्य हमले बंद कर दिए जाते हैं, तो ईरान जवाबी हमला नहीं करेगा। इसके लिए उन्होंने इजरायल को तेहरान समयानुसार सुबह 4 बजे तक का समय दिया था।
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर दोनों देशों के बीच 12 दिनों से चल रहे संघर्ष को समाप्त करने की घोषणा की थी। उन्होंने अपने बयान में लिखा कि उन्हें विश्वास है कि परिस्थितियां अनुकूल होंगी और ईरान व इजरायल इस लड़ाई को खत्म करने का साहस दिखाएंगे। ट्रंप के अनुसार, यह समझौता चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा और इससे क्षेत्र में स्थिरता लौटेगी।
ट्रंप की यह घोषणा ऐसे समय आई जब ईरान ने कतर और इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमले किए थे। इन हमलों के कुछ घंटों बाद ही सीजफायर की खबर सामने आई, जिससे यह समझा गया कि अमेरिका ने तत्काल हालात को काबू में करने के लिए कूटनीतिक प्रयास तेज कर दिए।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इस समझौते की पृष्ठभूमि में कतर ने मध्यस्थता की भूमिका निभाई। हालांकि इजरायल की ओर से अभी तक सीजफायर को लेकर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। इससे पहले भी इजरायली प्रशासन ने ट्रंप की घोषणा पर टिप्पणी से इनकार कर दिया था।
ईरान के विदेश मंत्री के ताजा बयान के बाद साफ हो गया है कि युद्धविराम को लेकर अभी स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। ट्रंप की ओर से घोषित सीजफायर की व्यवहारिकता अब इस पर निर्भर करेगी कि इजरायल अपने सैन्य अभियानों पर विराम लगाता है या नहीं।
विश्लेषकों का मानना है कि यदि दोनों देशों के बीच युद्ध विराम नहीं हो पाता, तो क्षेत्र में हिंसा और अधिक बढ़ सकती है। ऐसे में ट्रंप की पहल को तब तक निर्णायक नहीं माना जा सकता, जब तक दोनों पक्ष सार्वजनिक रूप से समझौते की पुष्टि नहीं करते।