Tuesday, July 22, 2025
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झुंझुनूं में एंबुलेंस कर्मचारियों ने वेतन कटौती और दबाव के खिलाफ जताया विरोध, आंदोलन की चेतावनी

झुंझुनूं: जिले में 108 एंबुलेंस सेवा से जुड़े कर्मचारियों ने वेतन कटौती, अनावश्यक दबाव और अन्य समस्याओं को लेकर जिला प्रशासन के समक्ष नाराजगी जाहिर की है। शुक्रवार को एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन की ओर से जिला कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगों को रखा गया और चेतावनी दी गई कि अगर शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो सेवा बंद करने जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।

यूनियन के जिलाध्यक्ष मनेंद्र सिंह के नेतृत्व में सौंपे गए ज्ञापन में स्पष्ट किया गया कि पिछले तीन महीनों से कर्मचारियों के वेतन में लगातार कटौती की जा रही है। इसके अलावा पूरे महीने कार्य करने के बावजूद उन्हें केवल 28 दिन का वेतन ही दिया जा रहा है। कर्मचारियों ने मांग की कि उन्हें पूरे महीने की तनख्वाह मिले और वेतन में कम से कम 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाए।

ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया गया कि संबंधित ठेका कंपनी कर्मचारियों पर अनुचित दबाव बना रही है और छोटी-छोटी बातों पर मनमाने ढंग से पेनाल्टी लगाई जा रही है। इससे कर्मचारियों का मानसिक तनाव बढ़ रहा है। यूनियन ने यह मांग भी की कि सरकार द्वारा गठित आरएलडीसी (रीजनल लेवल डिसीजन कमेटी) में 108 एंबुलेंस सेवा के कर्मचारियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए, ताकि उनकी समस्याओं को सही मंच पर रखा जा सके।

ज्ञापन में सात दिनों के भीतर समस्याओं के समाधान की मांग की गई है। यूनियन ने चेताया कि यदि मांगें नहीं मानी गईं तो वे पूरे जिले में 108 एंबुलेंस सेवा को स्थगित करने पर मजबूर होंगे। इससे आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन और कंपनी की होगी।

प्रतिनिधिमंडल में मनेंद्र सिंह के साथ लोकेश कुमार, उपेंद्र सिंह, नरेंद्र कुमार, ख्यालीराम, धर्मवीर सिंह, रमेश कुमार, दिलखुश, हरकेश, कपिल कुमार, मुकेश कुमार, मनीष कुमार, सुरेश कुमार, सुरेंद्र सिंह, धर्मेंद्र सिंह, चरणसिंह, सोनू शर्मा, विमलेश, कुलदीप सिंह, पंकज, रोहिताश्व, संजय कुमार और महेश कुमार सहित कई कर्मचारी मौजूद रहे।

कर्मचारियों का कहना है कि वे हर परिस्थिति में अपनी सेवाएं देने को तैयार हैं, लेकिन उनके साथ हो रहे शोषण और अन्याय को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यूनियन ने उम्मीद जताई कि प्रशासन उनकी बातों को गंभीरता से लेगा और कर्मचारियों की समस्याओं का शीघ्र समाधान करेगा।

यह मामला ना सिर्फ कर्मचारी हितों से जुड़ा है, बल्कि जिले की आपात सेवाओं की निर्बाधता को भी प्रभावित कर सकता है। ऐसे में प्रशासन के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वह इस मुद्दे को प्राथमिकता के साथ निपटाए।

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