लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान में जाट आरक्षण का मुद्दा फिर गरमाने लगा है। जाट समाज ने एक बार फिर आरक्षण की मांग उठाई है। रविवार को सुबह 10 बजे से आरक्षण की मांग को लेकर डीग शहर से 17 किमी दूर जनूथर कस्बे के भूतेश्वर मंदिर मैदान में जाट समाज की हुंकार सभा हुई। इस सभा में बड़ी संख्या में जाट समाज के लोग मौजूद रहे। जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने हुंकार सभा (Jat Hunkar Sabha) में आरक्षण नहीं तो वोट नहीं का ऐलान किया। साथ ही सरकार से आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया।
गौरतलब है कि भरतपुर और धौलपुर के जाटों को छोड़कर सभी जिलों के जाटों को केंद्र में ओबीसी के आरक्षण का लाभ मिल रहा है। भरतपुर और धौलपुर की जाटों की आरक्षण की मांग वर्ष 1998 से चली आ रही है। वर्ष 2013 में केंद्र की यूपीए सरकार ने भरतपुर और धौलपुर के जाटों सहित अन्य नौ राज्यों के जाटों को केंद्र में ओबीसी का आरक्षण दिया था। हालांकि साल 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद 10 अगस्त 2015 को भरतपुर और धौलपुर के जाटों के लिए ओबीसी आरक्षण को खत्म कर दिया गया था।
भरतपुर धौलपुर जाट आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक में सिंह फौजदार ने ऐलान किया कि हम सरकार को 10 दिन का समय देते हैं। यदि हमारी मांग पूरी नहीं की जाती है तो 11 दिन बाद मुंबई दिल्ली रेलवे मार्ग के पास गांव जयचौली में महापड़ाव किया जाएगा। यदि आरक्षण नहीं मिलता है तो जाट समाज मुंबई दिल्ली रेलवे मार्ग और जयपुर आगरा नेशनल हाईवे समेत जिले में कई जगहों पर चक्का जाम कर देगा। उन्होंने बताया कि गांव-गांव जाकर जाट समाज के लोगों को आरक्षण की लड़ाई के लिए जागरूक किया जा रहा है।
भरतपुर धौलपुर जाट आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक में सिंह फौजदार ने अपने संबोधन में कहा कि जाट समाज ने हमेसा सभी के न्याय के लिए लड़ाई लड़ी है लेकिन इस बार लड़ाई अपने बच्चों के भविष्य के लिए है। जाट समाज सरकार के सामने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांग रखेगा लेकिन यदि शांतिपूर्ण तरीके से सरकार नहीं सुनती है तो आंदोलन का रास्ता अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इस बार सरकार से आर-पार की लड़ाई होगी। जब तक भरतपुर और धौलपुर के जाटों को केंद्र सरकार की ओर से ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा। भले ही रेल रोकनी पड़े या सड़क जाम करना पड़े।