चिड़ावा, 21 जुलाई: प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत चिड़ावा नगरपालिका क्षेत्र में बड़े घोटाले का आरोप सामने आया है। चिड़ावा संघर्ष समिति ने नगरपालिका प्रशासन पर गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। समिति का कहना है कि कई लाभार्थियों को बिना मकान बनाए ही योजना की किश्तें जारी कर दी गईं, जबकि कुछ पात्र लाभार्थियों को निर्माण कार्य पूर्ण होने के बावजूद भुगतान नहीं मिला है।
सोमवार को समिति के प्रतिनिधियों ने नगरपालिका अधिशासी अधिकारी के नाम एक ज्ञापन सौंपा। ईओ के अनुपस्थित होने के चलते ज्ञापन वरिष्ठ लिपिक संजय चौधरी खेड़ला और स्टोर प्रभारी दीपक जांगिड़ को सौंपा गया। ज्ञापन में स्पष्ट रूप से आरोप लगाया गया है कि योजना के तहत कई लाभार्थियों की जियो टैगिंग बिना निर्माण कार्य के ही कर दी गई और उन्हें सरकारी सहायता की किश्तें जारी कर दी गईं। वहीं दूसरी ओर कई लाभार्थी जिन्होंने मकान का कार्य पूरा कर लिया, उन्हें अब तक कोई राशि नहीं मिली।
समिति ने यह सवाल उठाया कि जब निर्माण कार्य नहीं हुआ तो जियो टैगिंग किसके द्वारा और किस आधार पर की गई? उन्होंने यह भी मांग की कि 85 लाभार्थियों की सूची में से ऐसे लोगों को किश्तें क्यों नहीं दी गई जिन्होंने निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया है।
प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि अगर शीघ्र जांच नहीं की गई और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो नगरपालिका कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन किया जाएगा। ज्ञापन देने के दौरान अनिल भारती, प्रदीप स्वामी, श्रद्धानंद, रमाकांत, कालू, अशोक मेघवाल, श्याम सुंदर भगत, अनीश, मनोज, श्यामलाल नायक, सुनील नायक सहित अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
इस मामले में नगरपालिका अधिशासी अधिकारी रोहित मील ने सभी आरोपों को निराधार बताया है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना पूर्णतः पारदर्शी प्रक्रिया के तहत संचालित की जाती है और इसमें भ्रष्टाचार की बात बेबुनियाद है।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में किस प्रकार की जांच करवाता है और क्या कार्रवाई करता है। जांच नहीं होने पर समिति क्या कदम उठाती है?