ताजपोशी के तीन दिन बाद ही संजय सिंह पर क्यों गिरी गाज?
नए कुश्ती संघ ने हाल ही में जूनियर नेशनल चैंपियनशिप गोंडा में कराने का ऐलान किया था. खेल मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि यह फैसला ‘डब्ल्यूएफआई के संविधान के प्रावधानों का पालन किए बिना’ किया गया था. खेल मंत्रालय ने बयान में कहा, WFI के नवनिर्वाचित कार्यकारी निकाय द्वारा लिए गए फैसले WFI के प्रावधानों और नेशनल स्पोर्ट्स डेवलेपमेंट कोड का उल्लंघन हैं. ऐसे फैसले कार्यकारी समिति द्वारा लिए जाते हैं, जिसके समक्ष एजेंडे को विचार के लिए रखा जाना जरूरी होता है. इन फैसलों में नए अध्यक्ष की मनमानी दिखाई देती है, जो सिद्धांतों के खिलाफ है. एथलीटों, हितधारकों और जनता के बीच विश्वास बनाना अहम है.
खेल मंत्रालय ने कहा, ऐसा लगता है कि नया कुश्ती संघ खेल संहिता की पूरी तरह अनदेखी करते हुए पूरी तरह से पिछले पदाधिकारियों के नियंत्रण में है, जिनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए गए थे. इतना ही नहीं मंत्रालय ने कहा, फेडरेशन का कामकाज पूर्व पदाधिकारियों द्वारा नियंत्रित परिसर से चलाया जा रहा है. इस परिसर में खिलाड़ियों के कथित यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है और वर्तमान में कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रही है.
संजय सिंह की जीत के बाद साक्षी मलिक ने लिया था संन्यास
संजय सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद से विवाद लगातार बढ़ता जा रहा था. रेसलर साक्षी मलिक ने संजय सिंह को बृजभूषण सिंह का करीबी बताते हुए संन्यास का ऐलान किया था. साक्षी मलिक ने कहा था, पहलवानों की लड़ाई बृजभूषण के खिलाफ थी. हम चाहते थे कि फेडरेशन से उसका कब्जा खत्म हो जाए. सरकार से हमारी बात भी हुई थी कि किसी महिला को फेडरेशन का अध्यक्ष बनाया जाए. ताकि महिला पहलवानों के शोषण की शिकायतें न आएं, सरकार ने हमारी मांग को स्वीकार करने का आश्वासन भी दिया था. लेकिन नतीजा सबके सामने है, बृजभूषण का राइट हैंड और बिजनेस पार्टनर ही फेडरेशन का अध्यक्ष बन गया.
पूनिया ने लिखा था पीएम को पत्र
इसके बाद बजरंग पूनिया ने भी संजय सिंह के अध्यक्ष बनने के विरोध में अपना पद्मश्री लौटाने का फैसला किया. उन्होंने पीएम मोदी को पत्र भी लिखा था. बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट के साथ बृजभूषण के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले पहलवानों में शामिल थे. इन तीनों पहलवानों के नेतृत्व में ही कई रेसलर्स ने बृजभूषण के खिलाफ जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया था. इन पहलवानों ने बृजभूषण पर महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने FIR भी दर्ज की है. खेल मंत्रालय की दखल के बाद पहलवानों ने अपना प्रदर्शन खत्म किया था. खेल मंत्रालय ने कुश्ती संघ की पूरी ईकाई को भंग कर दिया था. इसके बाद कुश्ती संघ के चुनाव हुए. खेल मंत्रालय ने खिलाड़ियों को आश्वासन दिया था कि चुनाव में बृजभूषण के परिवार से कोई भी नहीं लड़ेगा.