Friday, September 12, 2025
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खेतड़ी में खेत के पास चार मवेशियों का शिकार, पैंथर की आशंका से ग्रामीणों में दहशत

खेतड़ी: कस्बे के तीजों वाले बांध के पास मंगलवार रात एक अज्ञात जंगली जानवर द्वारा चार मवेशियों पर हमला कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया। इस घटना के बाद क्षेत्र में दहशत का माहौल है और लोग वन्यजीव सुरक्षा और नियंत्रण को लेकर प्रशासन से ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।

जानकारी के अनुसार वार्ड 16 निवासी केसरदेव भोलाराम ने अपने मकान से सटे बाड़े में मवेशियों को बांध रखा था। देर रात अचानक किसी जंगली जानवर ने बाड़े में घुसकर मवेशियों पर हमला कर दिया। जब केसरदेव सुबह मवेशियों को खोलने गया, तो तीन मवेशी मृत मिले, जबकि एक मवेशी गंभीर रूप से घायल था। शोर मचाने पर आसपास के ग्रामीण मौके पर पहुंचे और वन विभाग को घटना की सूचना दी गई।

घटना की जानकारी मिलते ही वन विभाग की टीम ने स्थल का निरीक्षण किया और वहां मिले पंजों के निशानों को लेकर पगमार्क जुटाए। ग्रामीणों का कहना है कि निशानों से स्पष्ट होता है कि हमलावर जानवर पैंथर हो सकता है, जो संभवतः आसपास के वन क्षेत्र से आकर हमला कर गया। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले कुछ समय से क्षेत्र में जंगली जानवरों की गतिविधियां बढ़ी हैं, जिससे ग्रामीणों के पशुधन को लगातार नुकसान हो रहा है। इस कारण किसानों में भय और आक्रोश दोनों बढ़ता जा रहा है।

ग्रामीणों की मांग है कि सरकार इस मामले को गंभीरता से लेकर प्रभावित किसान को मुआवजा प्रदान करे और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए वन विभाग सतर्कता बढ़ाए। मौके पर पहुंचे वनपाल संजय कुमार ने बताया कि जंगली जानवर के हमले की सूचना पर टीम ने आवश्यक जांच की है और निगरानी के लिए अतिरिक्त स्टाफ की ड्यूटी भी लगाई गई है।

उन्होंने कहा कि मृत मवेशियों का पोस्टमार्टम कराया गया है और वन क्षेत्र से आए जानवर की पुष्टि हेतु आवश्यक नमूने एकत्र किए गए हैं। मामले की विस्तृत जांच जारी है। घटना के समय मौके पर पटवारी रेनू मीणा, सहायक वनपाल सत्यवान पूनिया, पशु चिकित्सक अशोक कुमार, पार्षद लीलाधर सैनी और एचसी सुशीला मौजूद रहे।

ग्रामीणों की आशंका और वन विभाग की प्रारंभिक कार्रवाई के बाद अब सबकी निगाहें उस रिपोर्ट पर टिकी हैं, जिससे साफ हो सके कि हमलावर कौन था और आगे की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे। इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर से वन क्षेत्र से लगे गांवों में सुरक्षा और पशुधन संरक्षण के सवाल को प्रमुखता से खड़ा कर दिया है।

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