कनाडा: कनाडा ने अपनी इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के लिए फास्ट ट्रैक स्टडी वीज़ा प्रोग्राम को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया है, जिसके चलते भारत सहित अन्य देशों के छात्रों पर इसका सीधा असर पड़ने की संभावना है। यह फैसला स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम (SDS) के तहत आवेदन करने वाले छात्रों के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है, जिनके लिए पहले प्रोसेसिंग टाइम बेहद कम था और स्वीकृति दर भी काफी अधिक थी।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सितंबर में एक बयान में कहा था कि इस साल कनाडा 35 प्रतिशत कम इंटरनेशनल स्टूडेंट्स वीज़ा जारी करेगा और अगले वर्ष यह संख्या और 10 प्रतिशत घट जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि इमिग्रेशन कनाडा की अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद है, लेकिन जब कुछ बुरे लोग सिस्टम का दुरुपयोग करते हैं और छात्रों का फायदा उठाते हैं, तो सरकार इस पर कार्रवाई करने के लिए मजबूर होती है। ट्रूडो ने यह भी स्पष्ट किया कि कनाडा अस्थायी निवासियों की संख्या को कम करने पर विचार कर रहा है।
भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक विवाद का असर
कनाडा के इस कदम का सीधा संबंध भारत और कनाडा के बीच चल रहे कूटनीतिक विवाद से जोड़ा जा रहा है। भारतीय उच्चायोग के अनुसार, भारत विदेशों में उच्च शिक्षा हासिल करने वाले छात्रों का सबसे बड़ा सोर्स देश है, और लगभग 4,27,000 भारतीय छात्र वर्तमान में कनाडा में पढ़ाई कर रहे हैं। इन छात्रों के लिए कनाडा का फास्ट ट्रैक स्टडी वीज़ा प्रोग्राम एक महत्वपूर्ण अवसर था, जिसके तहत छात्रों को तेज़ी से वीज़ा मिल जाता था।
कनाडा का बयान: समान और निष्पक्ष एक्सेस की प्रतिबद्धता
इमिग्रेशन रिफ्यूजी एंड सिटीजनशिप कनाडा (आईआरसीसी) ने इस मामले में एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि कनाडा सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों को स्टडी वीज़ा के लिए आवेदन प्रक्रिया में समान और निष्पक्ष एक्सेस देने के लिए प्रतिबद्ध है। इस बयान में यह भी बताया गया कि कनाडा का मुख्य उद्देश्य फास्ट ट्रैक स्टडी वीज़ा प्रोग्राम की अखंडता को मजबूत करना है, ताकि सभी छात्रों को आवेदन प्रक्रिया में समान अवसर मिल सके।