कनाडा: कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी द्वारा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आगामी G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए औपचारिक रूप से आमंत्रित किया गया है। इस आमंत्रण की पुष्टि खुद कार्नी ने की, साथ ही बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस निमंत्रण को स्वीकार भी कर लिया है। यह सम्मेलन जून महीने में कनाडा के कनानास्किस में आयोजित किया जाएगा।
भारत को आमंत्रण क्यों दिया गया?
मार्क कार्नी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा,
“भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है और वैश्विक सप्लाई चेन का प्रमुख केंद्र बन चुका है। ऐसे में ऊर्जा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्रिटिकल मिनरल्स जैसे क्षेत्रों पर चर्चा के लिए भारत को आमंत्रित करना आवश्यक है।”

खालिस्तानी आतंकवादी निज्जर की हत्या पर तीखा सवाल
G7 सम्मेलन में पीएम मोदी को दिए गए आमंत्रण को लेकर कनाडा में विवाद भी खड़ा हुआ है। एक रिपोर्टर ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का हवाला देते हुए कार्नी से सवाल पूछा कि क्या ऐसे समय में मोदी को आमंत्रित करना उचित है?
इसके जवाब में कनाडाई प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि,
“कनाडा में कानून का शासन है और हर विषय की स्वतंत्र जांच हो रही है। इस पर टिप्पणी करना न तो सही होगा और न ही हम कानूनी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करेंगे।”
पीएम मोदी की भूमिका पर टिप्पणी से इनकार
पत्रकार ने जब यह सीधा सवाल पूछा कि क्या प्रधानमंत्री मोदी का निज्जर हत्याकांड में कोई संबंध है, तो इस पर कार्नी ने चुप्पी साधते हुए कहा,
“इस मामले में एक कानूनी प्रक्रिया जारी है, जो काफी आगे बढ़ चुकी है। ऐसे में उस पर कोई भी टिप्पणी करना उपयुक्त नहीं है।”

भारत-कनाडा संबंधों में नई दिशा?
मार्क कार्नी के इस बयान को भारत और कनाडा के संबंधों में संतुलन साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। बीते वर्षों में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों को लेकर भारत और कनाडा के बीच संबंधों में तनाव रहा है। लेकिन अब वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका और आर्थिक हैसियत के मद्देनज़र कनाडा ने सकारात्मक रुख अपनाया है।
जी7 सम्मेलन और भारत की भूमिका
G7 शिखर सम्मेलन विश्व की सात प्रमुख विकसित अर्थव्यवस्थाओं का वार्षिक सम्मेलन होता है, जिसमें आमंत्रित देशों के साथ वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होती है। भारत को बीते वर्षों से विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर बुलाया जाता रहा है। इस वर्ष भी भारत की मौजूदगी वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं, ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, टेक्नोलॉजी और वैश्विक दक्षिण के विकास पर चर्चाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।