पंजाब में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए राज्य की 13 में से 7 सीटें जीतीं। दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी (AAP) ने 3 सीटों पर कब्जा किया। बीजेपी को इस बार एक भी सीट नहीं मिली, जो कि पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है। इस परिणाम से यह स्पष्ट होता है कि पंजाबी मतदाता ने बीजेपी को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है।
निर्दलीय उम्मीदवारों की शानदार जीत
इस चुनाव में दो निर्दलीय उम्मीदवार, अमृतपाल सिंह और सरबजीत सिंह खालसा, ने भी बड़ी जीत हासिल की। खडूर साहिब से अमृतपाल सिंह ने कांग्रेस के कुलबीर जीरा को 197,120 वोटों से हराया। अमृतपाल वर्तमान में ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का प्रमुख हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं। उनकी जीत के बाद उनकी मां ने कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी के कारण कोई जश्न नहीं मनाया जाएगा और उनकी जीत उन सभी लोगों को समर्पित है, जिन्होंने अपनी जान गंवाई है।
सरबजीत सिंह खालसा की जीत
फरीदकोट सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर लड़े और जीते सरबजीत सिंह खालसा ने AAP के करमजीत अनमोल को बड़े अंतर से हराया। सरबजीत सिंह, दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले बेअंत सिंह के बेटे हैं और उनकी मां बिमल कौर भी 1989 में रोपड़ से सांसद रह चुकी हैं। पंजाब में बेअंत सिंह को शहीद का दर्जा जनमानस में दिया जाता है, जिसके चलते सरबजीत सिंह के परिवार को लोगों की सहानुभूति और सम्मान मिला।
बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण समय
पंजाब में बीजेपी को एक भी सीट न मिलना पार्टी के लिए चिंता का विषय है। किसान आंदोलन के प्रभाव के कारण ग्रामीण इलाकों में बीजेपी को सख्त विरोध का सामना करना पड़ा। हालांकि शहरी इलाकों में बीजेपी की कुछ पकड़ देखी गई, लेकिन सिख और ग्रामीण मतदाताओं ने पार्टी को नकार दिया।
ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी का प्रभाव
6 जून को ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी है, और इस वजह से अमृतपाल सिंह की जीत के बाद उनके परिवार ने जश्न नहीं मनाने का फैसला किया। ऑपरेशन ब्लू स्टार पंजाब की राजनीति में एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दा है, जिसका असर चुनावों में भी दिखाई देता है।