लंदन/नई दिल्ली: ब्रिटेन की कंपनी एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को लेकर दुनियाभर में खून के थक्के जमने की खबरों के बाद भारत में भी लोगों में डर पैदा हो गया है। इस वैक्सीन को भारत में कोविशील्ड के नाम से लगाया गया था।
लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि इस रिपोर्ट से घबराने की बिलकुल जरूरत नहीं है।
डॉ समीरन पांडा, जो कोविड महामारी के दौरान देश के मुख्य महामारी विशेषज्ञ रहे और आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं, उनका कहना है:
“यह बात सही है कि वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने इसके साइड इफेक्ट बताएं हैं। लेकिन यह एक साइंटिफिक एविडेंस है। ‘साइंटिफिक एविडेंस’ को हर व्यक्ति खुद से जोड़कर नहीं देख सकता। क्योंकि किसी भी तरीके के ड्रग डेवलपमेंट या वैक्सीन डेवलपमेंट में इस तरीके के साइंटिफिक एविडेंस आते ही हैं। अब आप अगर इसका नकारात्मक पहलू लेकर पैनिक होंगे तो बात नहीं बनेगी।”
डॉ पांडा ने यह भी कहा:
“पहली बात तो इस बात को लोगों को स्पष्ट रूप से समझना चाहिए की वैक्सीन का अचानक हार्ट अटैक से कोई लेना-देना नहीं है। हमारे देश के वैज्ञानिकों ने इस पर लगातार शोध किया और उनकी रिपोर्ट भी सामने आ चुकी हैं। जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि वैक्सीन का सडन कार्डियक अरेस्ट से कोई संबंध नहीं है।”
वैज्ञानिकों का कहना है:
“किसी भी दवा या वैक्सीन के साइड इफेक्ट होते ही हैं।”
डॉ पांडा ने लोगों को सलाह दी:
“कि वे गूगल करके इधर-उधर की जानकारियां इकट्ठा करने से बचें।”