ईरान/इजरायल: ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका द्वारा किए गए बंकर बस्टर बम और टॉमहॉक मिसाइल हमलों के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह नष्ट कर दिया गया है। हालांकि, वास्तविक स्थिति इन दावों से काफी उलट प्रतीत हो रही है। अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों ने खुद स्वीकार किया है कि अब तक यह पता नहीं चल सका है कि बम-ग्रेड यूरेनियम का भंडार कहां गया।
उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने एक टेलीविजन कार्यक्रम में कहा कि ईरान के पास हथियार-ग्रेड यूरेनियम का भंडार था, जिससे नौ या दस परमाणु हथियार बनाए जा सकते हैं, लेकिन यह अब लापता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका इस पर नजर बनाए हुए है और आगे की रणनीति के लिए ईरान से बातचीत की कोशिश करेगा। वेंस ने यह भी तर्क दिया कि ईरान के पास अब ऐसे उपकरण नहीं बचे हैं, जिनसे वह इस यूरेनियम को हथियार में बदल सके, जिससे उनकी क्षमताएं काफी हद तक प्रभावित हुई हैं।
रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ और ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ डैन केन ने भी ट्रंप के अतिशयोक्तिपूर्ण बयानों को खारिज करते हुए कहा कि हालांकि हमलों से महत्वपूर्ण क्षति हुई है, लेकिन फोर्डो संयंत्र में कुछ उपकरण और यूरेनियम पहले ही हटाए जा चुके थे। यह भी खुलासा हुआ है कि हमले से कुछ दिन पहले फोर्डो संयंत्र के बाहर कम से कम 16 ट्रकों की कतार देखी गई थी। आशंका है कि इन ट्रकों के जरिए संवेदनशील उपकरणों और यूरेनियम को किसी गुप्त स्थान पर पहुंचाया गया हो सकता है।
सैटेलाइट तस्वीरों और इजरायली खुफिया रिपोर्टों के हवाले से यह बात भी सामने आई है कि यूरेनियम का लगभग 400 किलोग्राम का भंडार हमले से पहले ही हटाया जा चुका था। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक राफेल मारियानो ग्रासी ने कहा कि यह भंडार ईरानियों ने सुरक्षित रखा है और इसका आखिरी निरीक्षण इजरायल के हमले से एक सप्ताह पूर्व हुआ था।
अमेरिका ने 21 जून की रात ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नतांज और इस्फाहान—पर हमला किया। फोर्डो संयंत्र को मिसाइलों और बंकर बस्टर बमों से निशाना बनाया गया। इस संयंत्र को पहाड़ के भीतर बनाया गया है, जिससे इसे अधिकतर मिसाइल हमलों से सुरक्षित माना जाता रहा है। हमले के लिए सात बी-2 स्पिरिट बमवर्षकों से 14 जीबीयू-37 बंकर बस्टर बमों का प्रयोग किया गया। अन्य ठिकानों पर टॉमहॉक मिसाइलों से हमला किया गया।
हमलों के बाद की तस्वीरों में यह जरूर स्पष्ट है कि तीनों ठिकानों को भारी क्षति पहुंची है, लेकिन यूरेनियम की वास्तविक स्थिति और उसका स्थान अब भी रहस्य बना हुआ है। अमेरिका और इजरायल को शक है कि इस्फाहान के निकट एक भूमिगत गोदाम में यूरेनियम और अन्य उपकरण छिपाए गए हैं।
ईरान ने हमेशा कहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है, जबकि इजरायल का आरोप है कि वह परमाणु हथियार बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इजरायल का मानना है कि ईरान ‘वापसी न होने की सीमा’ को पार कर चुका है। इजरायल ने 13 जून को इस संघर्ष की शुरुआत की थी और 12 दिनों तक चली कार्रवाई के बाद युद्ध विराम हुआ।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने युद्ध विराम के बाद कहा कि उनके देश ने ईरान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल खतरे को सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया है। हालांकि परमाणु ईंधन की सही स्थिति को लेकर जारी अनिश्चितता और अमेरिका के बयान आपसी विरोधाभास को उजागर कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब इस ओर देख रहा है कि क्या यह मुद्दा फिर से किसी नए समझौते की ओर बढ़ेगा या क्षेत्रीय तनाव और गहराएगा।