Thursday, June 19, 2025
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इंडोनेशिया में बाढ़ और भूस्खलन से 16 की मौत, 9 लापता

इंडोनेशिया: इंडोनेशिया के मुख्य द्वीप जावा पर अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन ने तबाही मचा दी है। इस आपदा में अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 9 लोग अब भी लापता हैं। अधिकारियों के अनुसार, यह घटना मध्य जावा प्रांत के पेकलोंगन रीजेंसी के पर्वतीय इलाकों में हुई, जहां लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने भारी तबाही मचाई है।

9 गांवों में सबसे ज्यादा तबाही

स्थानीय आपदा प्रबंधन एजेंसी के प्रमुख बर्गस कैटुरसारी ने बताया कि सोमवार को हुई भारी बारिश के कारण नदियों में उफान आ गया, जिससे कई गांवों में बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति उत्पन्न हुई। इस आपदा से पेकलोंगन रीजेंसी के 9 गांव सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। भारी बारिश के चलते पहाड़ों की ढलानों से मिट्टी और चट्टानों के गिरने के कारण कई घर और सड़कें मलबे में दब गईं।

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कैटुरसारी ने जानकारी दी कि बचावकर्मियों ने मंगलवार तक पेटुंगक्रिओनो गांव से 16 शव बरामद किए हैं। उन्होंने कहा कि लापता नौ लोगों की तलाश अभी जारी है। राहत और बचाव कार्य में जुटी टीम को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि क्षेत्र में मलबे की मात्रा अधिक है और लगातार बारिश बचाव कार्य में बाधा डाल रही है।

बाढ़ और भूस्खलन का कारण बनी मूसलाधार बारिश

क्षेत्रीय अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को कई घंटों तक मूसलाधार बारिश होती रही, जिससे नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ गया। पहाड़ों से मिट्टी और चट्टानों के खिसकने से निचले इलाकों में स्थित गांव बुरी तरह प्रभावित हुए। कई पेड़ उखड़ गए, जिससे सड़कों का संपर्क टूट गया है।

बचाव अभियान में जुटी टीमें

बचाव अभियान में लगे कर्मियों ने बताया कि प्रभावित इलाकों में कई घर पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं। फिलहाल 10 लोग घायल अवस्था में किसी तरह आपदाग्रस्त क्षेत्र से बच निकलने में कामयाब रहे। इन सभी को पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जहां उनका उपचार चल रहा है।

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प्राकृतिक आपदाओं के लिए संवेदनशील है इंडोनेशिया

इंडोनेशिया में अक्टूबर से मार्च के बीच मौसमी बारिश आमतौर पर बाढ़ और भूस्खलन का कारण बनती है। देश में लगभग 17,000 द्वीप हैं और लाखों लोग पर्वतीय क्षेत्रों या बाढ़ संभावित मैदानी इलाकों के पास रहते हैं। इस प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से हर साल बड़ी संख्या में जान-माल का नुकसान होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम की चरम स्थितियां अधिक खतरनाक होती जा रही हैं।

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