झुंझुनूं: इंडाली के प्रसिद्ध बूढिया बालाजी मंदिर प्रांगण में चल रही श्रीराम कथा के दौरान सोमवार को केवट प्रसंग की भावपूर्ण व्याख्या ने श्रद्धालुओं को भक्ति रस में डुबो दिया। कथा वाचक प्रभुशरण तिवाड़ी ने इस प्रसंग के माध्यम से जीवन में विनम्रता और अहंकार से दूरी बनाए रखने का संदेश दिया।
तिवाड़ी ने कहा कि भगवान कभी भी अभिमानी व्यक्ति को अपने निकट नहीं आने देते। जब-जब भगवान ने अवतार लिया, उन्होंने विनम्र और भक्तिभाव से युक्त व्यक्तियों को ही अपने सखा, सेवक या सहयोगी के रूप में स्वीकार किया। राम रूप में उन्होंने वानरों, भालुओं और निषादराज केवट को अपनाया तो कृष्ण रूप में उन्होंने ग्वालबालों और निर्धन सुदामा को मित्र बनाया। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अहंकार करता है, वह कभी ईश्वर के सान्निध्य को प्राप्त नहीं कर सकता।

कथा के दौरान तिवाड़ी ने भक्ति और भक्त के मध्य संबंधों की गहराई से विवेचना की। उन्होंने राम के वनवास प्रसंग का भी विस्तारपूर्वक वर्णन किया, जिसने भक्तों को प्रभु की लीला की गहराइयों तक ले जाने का कार्य किया। इस अवसर पर मंदिर परिसर में भगवान राम के वनवास की सजीव झांकी प्रस्तुत की गई, जिसे देख श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। साथ ही सुगंधित धूप, मंत्रोच्चारण और सुमधुर भजन-संगीत ने वातावरण को पूरी तरह भक्तिमय बना दिया।

कथा से पूर्व सियाराम शास्त्री के सान्निध्य में यजमान जयराम शर्मा ने अपनी पत्नी के साथ वैदिक विधि से पूजन कर श्रीराम कथा का शुभारंभ किया। आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए, जिनमें पुजारी सुनील शर्मा, रामनाथ लाम्बा, गुलझारीलाल, ओमप्रकाश कम्पाउंडर, बजरंग सिंह शेखावत, राजेश देग, रामकुमार मीणा, नोरंगराम मीणा, माधोसिंह राजपूत, महिपाल सहित अनेक ग्रामवासी उपस्थित रहे।
पूरे आयोजन के दौरान श्रद्धालुओं ने शांतिपूर्ण वातावरण में कथा श्रवण कर धार्मिक ऊर्जा का अनुभव किया। आयोजकों के अनुसार श्रीराम कथा का समापन आने वाले दिनों में हवन व भंडारे के साथ किया जाएगा।