नई दिल्ली: भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। एक्सियम-4 मिशन के तहत भारत के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश कर लिया है। इस ऐतिहासिक क्षण में स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से भारतवासियों को संबोधित करते हुए शुक्ला ने कहा, “हम पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश कर चुके हैं। यह भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत है। जय हिंद, जय भारत।” यह संदेश फाल्कन 9 रॉकेट से ड्रैगन मॉड्यूल के अलग होने के तुरंत बाद प्रसारित किया गया।
शुभांशु शुक्ला भारत के दूसरे नागरिक हैं जो अंतरिक्ष में गए हैं। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत संघ के मिशन के तहत अंतरिक्ष की यात्रा की थी। इस यात्रा के साथ ही 41 वर्षों के अंतराल के बाद किसी भारतीय ने अंतरिक्ष में देश का प्रतिनिधित्व किया है।
भारतीय समयानुसार दोपहर 12:01 बजे, फाल्कन 9 रॉकेट ने अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरी। इस मिशन में भारत से शुभांशु शुक्ला के अलावा अमेरिका से कमांडर पैगी व्हिटसन, पोलैंड से स्लावोश उज्नांस्की-विस्निवस्की और हंगरी से तिबोर कापु भी शामिल हैं। यह अंतरिक्ष यात्रा ह्यूस्टन स्थित एक्सियम स्पेस द्वारा संचालित है और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए चौथा निजी यात्री मिशन है। खास बात यह है कि इस मिशन में पहली बार किसी भारतीय को व्यावसायिक अंतरिक्ष उड़ान के माध्यम से भेजा गया है।
स्पेसक्राफ्ट ड्रैगन, जिसे एंड्योरेंस नाम दिया गया है, अपनी पहली उड़ान पर है। नियमानुसार यह यान भारतीय समयानुसार बुधवार शाम लगभग 4:30 बजे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से डॉक करेगा।
शुभांशु ने पृथ्वी की कक्षा में पहुंचते ही देशवासियों को संबोधित किया और कहा, “नमस्कार मेरे प्यारे देशवासियों! क्या ही अद्भुत यात्रा है! हम 41 साल बाद फिर से अंतरिक्ष में लौटे हैं। यह एक अविश्वसनीय अनुभव है। हम 7.5 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं। मेरे कंधों पर लहराता तिरंगा मुझे बताता है कि मैं आप सभी के साथ हूं। मेरी यह यात्रा केवल स्पेस स्टेशन की ओर नहीं, बल्कि भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की दिशा में भी एक मजबूत कदम है। मैं चाहता हूं कि आप सभी इस यात्रा का हिस्सा बनें और गर्व महसूस करें।”
यह मिशन भारत के लिए सिर्फ तकनीकी प्रगति नहीं, बल्कि अंतरिक्ष विज्ञान में वैश्विक सहभागिता की ओर एक मजबूत संकेत है। आगामी गगनयान मिशन के लिए यह अनुभव अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा, जिसमें तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजा जाना प्रस्तावित है।