हरियाणा: हरियाणा विधानसभा चुनाव में राजनीति के खेल में अंतिम समय तक बदलाव की संभावनाएं बनी रहती हैं, और इस बार इसका जीता-जागता उदाहरण बने हैं अशोक तंवर। कभी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के स्टार प्रचारक रहे अशोक तंवर ने चुनावी प्रचार के अंतिम क्षणों में कांग्रेस में वापसी कर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।
अशोक तंवर, जो कुछ ही समय पहले तक बीजेपी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार करते नजर आ रहे थे, अचानक कांग्रेस के मंच पर दिखाई दिए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की जींद रैली में तंवर ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया, जिससे हरियाणा चुनाव में सियासी समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने अशोक तंवर के शामिल होने का वीडियो अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किया, जो जल्द ही वायरल हो गया।
बीजेपी से कांग्रेस तक का सफर
अशोक तंवर, हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं और उनका प्रदेश की राजनीति में खासा प्रभाव है। बीजेपी ने उन्हें अपने स्टार प्रचारकों की सूची में जगह दी थी और साथ ही वे पार्टी की कैंपेन कमेटी के सदस्य भी थे। तंवर ने हाल ही में नलवा विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी उम्मीदवार रणधीर पनिहार के समर्थन में रैली भी की थी, जहां उन्होंने बीजेपी की जीत का भरोसा दिलाया था। उनके एक्स (ट्विटर) हैंडल पर इस रैली की तस्वीरें भी साझा की गई थीं, जिसमें वे बीजेपी की जीत का दावा करते नजर आए थे।
लेकिन, चुनावी प्रचार के अंतिम कुछ घंटों में तंवर ने अपने राजनीतिक रुख में बड़ा बदलाव करते हुए कांग्रेस का दामन थाम लिया। कांग्रेस में शामिल होने से पहले तक वे लगातार बीजेपी के पक्ष में रैलियां कर रहे थे और पार्टी की नीतियों की जमकर तारीफ कर रहे थे।
अशोक तंवर की वापसी से कांग्रेस को मिलेगा लाभ
तंवर की वापसी से कांग्रेस को हरियाणा चुनाव में लाभ होने की संभावना जताई जा रही है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां तंवर का व्यक्तिगत प्रभाव है। राहुल गांधी की जींद रैली में तंवर के शामिल होने से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नया जोश देखा जा रहा है। हरियाणा कांग्रेस के लिए यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक चाल मानी जा रही है, क्योंकि तंवर के पार्टी में वापस आने से कांग्रेस की सियासी रणनीति और मजबूत होगी।
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बीजेपी के लिए बड़ा झटका
अशोक तंवर की कांग्रेस में वापसी बीजेपी के लिए बड़ा झटका मानी जा रही है, क्योंकि चुनावी प्रचार के अंतिम दिनों में पार्टी के एक प्रमुख चेहरे का अलग होना सत्तारूढ़ दल के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकता है। तंवर न केवल बीजेपी के स्टार प्रचारकों में से एक थे, बल्कि उन्हें पार्टी की चुनावी रणनीति में भी अहम स्थान दिया गया था। ऐसे में उनका अचानक से कांग्रेस में लौटना बीजेपी के लिए चिंता का विषय बन सकता है।