Wednesday, January 29, 2025
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अमेरिका में ट्रम्प की वापसी से भारत को क्या होंगे फायदे? जानें रेटिंग एजेंसी का विश्लेषण

वॉशिंगटन, अमेरिका: अमेरिका में हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने कमला हैरिस को हराकर बड़ी जीत दर्ज की है। ट्रंप अब जनवरी 2025 में राष्ट्रपति पद की शपथ लेकर बाइडन प्रशासन की जगह लेंगे। ट्रंप की नीतियों में संभावित बदलाव और उनके प्रभावों पर पहले से ही वैश्विक चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं। अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज के अनुसार, ट्रंप का प्रशासन बनने से एशियाई देशों, विशेषकर भारत और आसियान देशों को लाभ मिलने की संभावना है। मूडीज का मानना है कि ट्रंप की संरक्षणवादी नीतियों से अमेरिका-चीन संबंधों में तनाव बढ़ेगा, जिससे निवेश के नए अवसर उभर सकते हैं।

भारत और आसियान देशों के लिए संभावनाएं बढ़ेंगी

मूडीज रेटिंग्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव से व्यापार और निवेश प्रवाह में संभावित बदलाव देखा जा सकता है। मूडीज का अनुमान है कि ट्रंप प्रशासन की नीतियों के तहत कुछ रणनीतिक क्षेत्रों में चीन के साथ निवेश प्रतिबंधों में सख्ती की जा सकती है, जो चीन की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा। इसका फायदा भारत और अन्य एशियाई देशों को मिल सकता है, जो अमेरिकी निवेश और व्यापार अवसरों को आकर्षित करने की स्थिति में होंगे। मूडीज का कहना है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन से व्यापार हटकर अन्य देशों की ओर प्रवाहित हो सकता है, जिससे क्षेत्रीय विकास में भी वृद्धि होगी।

ट्रंप की नई नीतियों से होगा बाइडन प्रशासन से अलग रुख

रेटिंग एजेंसी मूडीज के अनुसार, ट्रंप प्रशासन के कार्यकाल में नीतियों में बाइडन प्रशासन के दृष्टिकोण से हटकर कई महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिलेंगे। राजकोषीय, व्यापार, जलवायु और आव्रजन जैसे मुद्दों पर ट्रंप अपनी संरक्षणवादी नीतियों को आगे बढ़ा सकते हैं। एजेंसी ने बताया कि ट्रंप के पास अपने एजेंडे को कार्यकारी और विधायी दोनों मार्गों से लागू करने के विकल्प मौजूद होंगे। कर सुधार की दिशा में ट्रंप ने 2017 के कर कटौती और रोजगार अधिनियम को स्थायी करने और कॉर्पोरेट कर की दर को कम करने की योजना बनाई थी, जिसे नए कार्यकाल में लागू किया जा सकता है।

संरक्षणवादी नीतियों से होगा संघीय घाटे में वृद्धि का अनुमान

मूडीज की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन की व्यापक टैरिफ नीतियों के कारण संघीय घाटे में वृद्धि होने की आशंका है। विशेषकर, चीनी आयात पर भारी टैरिफ लगाए जाने की संभावना से अमेरिकी राजकोषीय घाटे में वृद्धि हो सकती है। संरक्षणवादी नीतियों का वैश्विक सप्लाई चेन पर भी असर हो सकता है, जिससे मैन्युफैक्चरिंग, टेक्नोलॉजी, और रिटेल जैसे क्षेत्रों में नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है। इसके साथ ही, ट्रंप की नीतियां उत्पादन गतिविधियों को अमेरिका में ही प्रोत्साहित करने का लक्ष्य रखती हैं, जिससे अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र पर प्रभाव देखा जा सकता है।

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