चिड़ावा (झुंझुनूं)। भक्ति आत्मा का परम धन है और अभिमान त्याग कर ही ईश्वर की सच्ची प्राप्ति हो सकती है। यह बात दो राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित वाणी भूषण पंडित प्रभुशरण तिवाड़ी ने श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन ध्रुव प्रसंग की व्याख्या करते हुए कही।
ध्रुव चरित्र से मिला जीवन संदेश
पंडित प्रभुशरण तिवाड़ी ने कहा कि जब ध्रुव ने अपने अभिमान को त्यागकर स्वयं को भगवान के चरणों में समर्पित किया, तब भगवान प्रसन्न होकर उनके समक्ष प्रकट हुए। यही सच्ची भक्ति है। उन्होंने बताया कि भगवान कपिल के आध्यात्मिक प्रसंग को भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझाया जा सकता है।
कथा में शिव-सती चरित्र और सृष्टि वर्णन
कथा के दौरान शिव-सती चरित्र और सृष्टि वर्णन सहित अनेक दिव्य प्रसंग सुनाए गए। श्रोताओं को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से प्रेरित करने वाले प्रसंगों ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
वैदिक परंपरा से हुआ शुभारंभ
कथा से पूर्व मुख्य यजमान रामोतार कलावती शर्मा एवं उनके परिवार ने आचार्य नरेश जोशी, आमोद शर्मा और विक्रम शर्मा के आचार्यत्व में वेद मंत्रोच्चार के साथ भागवत पुराण और व्यास पूजन किया। इस अवसर पर ध्रुव वरदान की झांकी सजाई गई और भजनों से वातावरण गूंज उठा।
बड़ी संख्या में जुटे श्रद्धालु
कथा में पूर्व चेयरमैन सुभाष शर्मा, समाजसेवी शीशराम, पार्षद योगेंद्र कटेवा, महेन्द्र शर्मा, अशोक शर्मा, प्रमोद शर्मा, अनिल शर्मा, सुशील कुमार, विनोद कुमार लाम्बीवाला, सिद्धार्थ, श्याम सुंदर साखुवाला, विश्वनाथ ढाढीटिया, जगदीश डाबलेवाला और निरंजन कलगाव वाला सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिला-पुरुष उपस्थित रहे।