श्रीलंका: श्रीलंका में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके देश के नए राष्ट्रपति बन गए हैं। अपने राष्ट्रपति पद के शपथ ग्रहण के साथ ही दिसानायके ने कई अहम निर्णय लिए। सबसे प्रमुख निर्णय में उन्होंने श्रीलंका की संसद को भंग कर दिया और 14 नवंबर 2024 को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की। इस फैसले ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है।
भारत-चीन के बीच संतुलन बनाए रखने का संकल्प
दिसानायके का राष्ट्रपति बनना क्षेत्रीय राजनीति के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, खासकर भारत और चीन के संदर्भ में। वामपंथी विचारधारा के प्रति झुकाव रखने वाले दिसानायके को अक्सर चीन का करीबी माना जाता है, जिससे भारत में चिंताएं बढ़ी हैं। हालांकि, श्रीलंका के नए राष्ट्रपति ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी एक देश के प्रति पूरी तरह से झुकाव नहीं दिखाएंगे।
उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, “हम भारत और चीन के बीच सैंडविच नहीं बनेंगे।” उनका यह बयान तेजी से चर्चा का विषय बन गया है। दिसानायके ने कहा कि श्रीलंका अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को प्राथमिकता देगा और किसी एक देश का पक्ष लेने से बचेगा। यह संकेत चीन के लिए महत्वपूर्ण संदेश माना जा रहा है, क्योंकि श्रीलंका की भू-राजनीतिक स्थिति में चीन का प्रभाव हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है।
चीन को इशारों में संदेश
दिसानायके ने एक स्थानीय समाचार पत्र को दिए गए इंटरव्यू में कहा, “श्रीलंका दुनिया में चल रही दबदबे की लड़ाई में फंसना नहीं चाहता है। न तो हम किसी के पक्ष में हैं और न ही हम इस होड़ में शामिल होंगे।” यह बयान साफ तौर पर श्रीलंका की तटस्थ नीति को दर्शाता है, जिससे भारत और चीन दोनों ही के साथ संतुलन बनाए रखने की कोशिश हो रही है।
“भारत-चीन दोनों हमारे दोस्त”
श्रीलंका के नए राष्ट्रपति ने भारत और चीन के बीच की कूटनीतिक चुनौतियों को देखते हुए यह स्पष्ट किया कि दोनों देश श्रीलंका के मित्र हैं। उन्होंने यह भी कहा, “हम किसी भी देश के खिलाफ नहीं हैं और हम किसी के दबाव में नहीं आएंगे।” दिसानायके के इस बयान को श्रीलंका की परंपरागत तटस्थ नीति के अनुरूप देखा जा रहा है।