रूस-यूक्रेन युद्ध: रूस और यूक्रेन के बीच जारी भीषण संघर्ष अब अपने चौथे वर्ष में प्रवेश कर चुका है। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने युद्धविराम और शांति वार्ता के लिए कई प्रयास किए, लेकिन वे सभी असफल रहे। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अमेरिका, फ्रांस, तुर्की और संयुक्त राष्ट्र के कई शीर्ष नेताओं ने दोनों देशों से शांति वार्ता की मेज़ पर बैठने की लगातार अपील की। अब इन प्रयासों का आंशिक असर दिखाई देने लगा है।
तुर्की के इस्तांबुल में हाल ही में हुई एक अहम बैठक में रूस और यूक्रेन के अधिकारियों के बीच एक समझौता हुआ, जिसके तहत दोनों देशों ने एक-दूसरे के युद्धबंदियों और नागरिक कैदियों को रिहा करने का फैसला किया। शुक्रवार को पहले चरण में 390 कैदियों की रिहाई की गई। यह 2014 में क्रीमिया पर रूस के कब्जे के बाद सबसे बड़ी कैदियों की अदला-बदली है।

1000 कैदियों की रिहाई का लक्ष्य, पुतिन देंगे शांति प्रस्ताव
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने जानकारी दी कि इस पहल के तहत दोनों देशों करीब 1000 लोगों को रिहा करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि कैदियों की रिहाई के बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को औपचारिक रूप से एक शांति प्रस्ताव सौंपेंगे।
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब युद्ध की विभीषिका से दोनों देशों की जनता परेशान है और अंतरराष्ट्रीय दबाव भी लगातार बढ़ रहा है।
कीव पर रूसी मिसाइल और ड्रोन हमला, छह घायल
हालांकि शांति प्रयासों के बीच शनिवार सुबह रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव पर मिसाइल और ड्रोन से हमला कर दिया, जिससे वार्ता की गंभीरता पर सवाल खड़े हो गए हैं। कीव सैन्य प्रशासन के अनुसार, राजधानी के चार जिलों में विस्फोटों की आवाजें सुनी गईं। हमलों में छह लोग घायल हुए हैं और दो स्थानों पर आगजनी की घटनाएं हुईं।

कीव के मेयर ने हमले से पहले नागरिकों को ड्रोन खतरों को लेकर आगाह किया था, लेकिन हमला टालने में असमर्थ रहे। ड्रोन के मलबे से कई घरों और इमारतों को नुकसान पहुंचा है।
सीजफायर की कोई संभावना नहीं, युद्ध अभी भी जारी
हालांकि कैदियों की अदला-बदली को सकारात्मक संकेत माना जा रहा है, लेकिन युद्धविराम (सीजफायर) को लेकर कोई ठोस पहल सामने नहीं आई है। क्रेमलिन के अनुसार, शांति वार्ता का अगला चरण अभी तय नहीं किया गया है। वहीं यूरोपीय नेताओं ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर शांति प्रयासों में देरी करने और यूक्रेनी क्षेत्रों में अवैध कब्जे का आरोप लगाया है।