नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार शाम को ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की विदेश नीति को वैश्विक मंच पर मजबूती से प्रस्तुत करने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों से मुलाकात करेंगे। यह प्रतिनिधिमंडल हाल ही में 33 विदेशी राजधानियों और यूरोपीय संघ का दौरा कर भारत का पक्ष अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष रखकर लौटा है।
सूत्रों के अनुसार यह बैठक प्रधानमंत्री आवास, 7 लोक कल्याण मार्ग पर आयोजित होगी, जहां सभी प्रतिनिधिमंडल के सदस्य प्रधानमंत्री के साथ चर्चा करेंगे और अपनी यात्रा के अनुभव साझा करेंगे। बैठक के बाद प्रधानमंत्री द्वारा रात्रिभोज (डिनर) का आयोजन भी किया गया है, जिसका समय शाम 7 बजे निर्धारित है।

प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य: दुनिया के समक्ष भारत का पक्ष
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का गठन ऑपरेशन सिंदूर के बाद किया गया था, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक कार्रवाई के पक्ष में विश्वभर में समर्थन जुटाना प्रमुख उद्देश्य था। प्रतिनिधिमंडल ने विभिन्न देशों की सरकारों, थिंक टैंकों और कूटनीतिक संस्थाओं से संवाद कर भारत की स्थिति को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया।
विदेश मंत्री ने सराहा प्रयास
विदेश मंत्री एस जयशंकर पहले ही इन प्रतिनिधिमंडलों से भेंट कर चुके हैं और उन्होंने उनके प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि,
“इन प्रतिनिधिमंडलों ने भारत की विदेश नीति को मजबूत करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। इन्होंने वैश्विक समुदाय में यह संदेश स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ किसी भी प्रकार की नरमी नहीं बरतेगा।”
कौन-कौन शामिल था प्रतिनिधिमंडल में
इन प्रतिनिधिमंडलों में 50 से अधिक सदस्य शामिल थे, जिनमें अधिकतर वर्तमान सांसद हैं। साथ ही, कुछ पूर्व राजनयिक, वरिष्ठ पत्रकार और सामरिक विशेषज्ञ भी टीम का हिस्सा रहे।
सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा संचालित चार प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व निम्नलिखित सांसदों ने किया:
- दो भाजपा सांसद
- एक जदयू सांसद
- एक शिवसेना सांसद
वहीं तीन विपक्षी प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व इन दलों के सांसदों ने किया:
- एक कांग्रेस सांसद
- एक द्रमुक सांसद
- एक राकांपा (शरद पवार गुट) सांसद

भारत का सख्त रुख और अंतरराष्ट्रीय समर्थन
इन प्रतिनिधिमंडलों ने विभिन्न देशों में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस, राजनयिक बैठकों और सार्वजनिक संवादों के माध्यम से यह संदेश दिया कि भारत अपनी संप्रभुता और आंतरिक सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं करेगा। उन्होंने बताया कि भारत की नीति आतंकवाद के खिलाफ “जीरो टॉलरेंस” की है।