चिड़ावा (झुंझुनूं): चिड़ावा पंचायत समिति में सरकारी दुकानों के आवंटन को लेकर हुए एक बड़े भ्रष्टाचार के मामले में न्यायालय के आदेश के बाद हड़कंप मच गया है। एक बेरोजगार युवक की शिकायत पर अदालत ने प्रथम दृष्टया गंभीर अनियमितताएं मानते हुए पंचायत समिति की प्रधान इंद्रा डुडी, तत्कालीन विकास अधिकारी, सहायक अभियंता और लेखाधिकारियों समेत कुल 16 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिए हैं। मामले की जांच अब पुलिस उपाधीक्षक (DySP) स्तर के अधिकारी द्वारा की जाएगी।
क्या है पूरा मामला: बेरोजगार ने खोली भ्रष्टाचार की पोल
यह पूरा मामला स्वामी सेही निवासी देवेंद्र कुमार की शिकायत से शुरू हुआ। देवेंद्र ने न्यायालय में प्रस्तुत अपने परिवाद में बताया कि वह अपनी आजीविका चलाने के लिए पंचायत समिति की कोर्ट रोड स्थित दुकान किराए पर लेना चाहता था। इसके लिए उसने 9 जून 2021 को तत्कालीन विकास अधिकारी से संपर्क किया, जिन्होंने उसे निविदा प्रक्रिया शुरू होने पर सूचित करने का आश्वासन दिया। देवेंद्र लगातार कार्यालय के चक्कर काटता रहा, लेकिन हर बार उसे प्रक्रिया शुरू न होने की बात कहकर टाल दिया गया।
बाद में, जब देवेंद्र ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत जानकारी मांगी, तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। उसे पता चला कि अधिकारियों ने आपस में मिलीभगत कर बिना किसी सार्वजनिक सूचना या निविदा के, गुपचुप तरीके से कागजी कार्यवाही पूरी कर दुकानें अपने चहेतों को आवंटित कर दी थीं।
‘अंदरखाने’ में अपनों को फायदा, ऐसे बांटी गईं दुकानें
शिकायत और दस्तावेजों के अनुसार, पंचायत समिति के तत्कालीन अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए सीधे तौर पर अपने रिश्तेदारों और करीबियों को फायदा पहुंचाया।
तत्कालीन विकास अधिकारी रणसिंह पर आरोप है कि उन्होंने दुकान संख्या 23 और 24 अपने सगे साले अनिल कुमार के नाम आवंटित कर दी।
तत्कालीन सहायक लेखाधिकारी महेश धायल ने दुकान संख्या 15, 21 और 22 अपने बेटे पुलकित को आवंटित करवा दी।
तत्कालीन सहायक अभियंता महेन्द्र सिंह पर अपनी पत्नी श्रीमती सुशीला जिनोलिया के नाम दुकान संख्या 19 और 20 आवंटित करवाने का आरोप है।
दुकान संख्या 18 विनोद कुमार नेहरा को दी गई, जो अधिकारियों का मित्र और रिश्तेदार बताया जाता है।
पुलिस ने नहीं की कार्रवाई, तो कोर्ट ने लिया संज्ञान
देवेंद्र कुमार ने इस पूरे मामले की शिकायत पहले 20 मई 2024 को चिड़ावा पुलिस थाने में और फिर 11 जून 2024 को पुलिस अधीक्षक, झुंझुनूं को डाक के माध्यम से की। जब दोनों जगहों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो उसने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
जांच रिपोर्ट में भी मिली थीं गंभीर अनियमितताएं
न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पंचायत समिति चिड़ावा से एक जांच रिपोर्ट तलब की। न्यायालय ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि इस जांच रिपोर्ट में भी आवंटन प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं। रिपोर्ट में तत्कालीन विकास अधिकारी रणसिंह, सहायक अभियंता महेंद्र सिंह, और सहायक लेखाधिकारी महेश धायल को पूर्ण रूप से दोषी माना गया। साथ ही, यह भी पाया गया कि तत्कालीन प्रधान इंद्रा डुडी को इस गलत आवंटन की पूरी जानकारी थी, इसके बावजूद उन्होंने यह होने दिया।
DySP स्तर का अधिकारी करेगा जांच, इन धाराओं में केस दर्ज
न्यायालय ने माना कि यह प्रथम दृष्टया एक संज्ञेय अपराध है, जिसमें लोकसेवकों ने आपराधिक षड्यंत्र रचकर अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाकर अपने रिश्तेदारों को अनुचित लाभ दिया। इसी आधार पर, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, चिड़ावा ने पुलिस अधीक्षक, झुंझुनूं को FIR दर्ज कर मामले की जांच कम से कम पुलिस उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी से करवाने का आदेश दिया। न्यायालय के आदेश के बाद, चिड़ावा पुलिस थाने में 15 सितंबर 2025 को मामला दर्ज कर जांच वृताधिकारी विकास धींधवाल को सौंपी गई है। आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं, जिनमें आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी, और लोकसेवक द्वारा पद के दुरुपयोग से संबंधित धाराएं शामिल हैं, के तहत मामला दर्ज किया गया है।





