नई दिल्ली: लेटरल एंट्री को लेकर चल रही बहस के बीच केंद्र सरकार ने UPSC द्वारा जारी किए गए लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगा दी है।
कार्मिक मंत्री ने लिखा UPSC चेयरमैन को पत्र
इस संबंध में कार्मिक मंत्री ने UPSC चेयरमैन को पत्र लिखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर यह निर्णय लिया गया है। UPSC ने 17 अगस्त को एक विज्ञापन जारी किया था, जिसमें लेटरल एंट्री के माध्यम से 45 जॉइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर लेवल की भर्तियों की घोषणा की गई थी।
लेटरल एंट्री: एक परिचय
लेटरल एंट्री में कैंडिडेट्स बिना UPSC की परीक्षा दिए भर्ती किए जाते हैं, जिससे उन्हें आरक्षण के नियमों का लाभ नहीं मिलता है। इस प्रक्रिया का विरोध करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था कि महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती कर SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है।
विवाद पर केंद्रीय मंत्री की प्रतिक्रिया
विवाद बढ़ने पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्पष्ट किया कि नौकरशाही में लेटरल एंट्री नई नहीं है। उन्होंने बताया कि 1970 के दशक से कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों के दौरान भी लेटरल एंट्री होती रही है। उन्होंने मनमोहन सिंह और मोंटेक सिंह अहलूवालिया का उदाहरण देते हुए कहा कि ये पहलें उस समय की सरकारों द्वारा की गई थीं।
निष्कर्ष
वर्तमान में, लेटरल एंट्री पर रोक लगाने के निर्णय से इस विवाद ने और तूल पकड़ लिया है। अब सभी की नजरें केंद्र सरकार की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं, जिससे इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।