नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को संसद में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग पर कानून बनाने को लेकर सरकार की स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि यदि संसद और समाज में आम सहमति बनती है, तो सरकार एआई के उपयोग पर कानून लाने के लिए तैयार है। यह बयान कांग्रेस सांसद अदूर प्रकाश द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में दिया गया। सांसद ने पूछा था कि क्या सरकार एआई के उपयोग को लेकर किसी कानून की योजना बना रही है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि एआई के क्षेत्र में कानूनी ढांचा विकसित करने के लिए समाज और संसद दोनों की सहमति आवश्यक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वर्तमान सरकार प्रौद्योगिकी के लोकतंत्रीकरण में विश्वास करती है, और यह पहल कांग्रेस के शासनकाल में नहीं देखी गई थी। उनके इस बयान के बाद विपक्षी दलों के सांसदों ने विरोध प्रदर्शन किया।
समाज में जवाबदेही की जरूरत
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि फर्जी कहानियां और ऑनलाइन अफवाहें आज दुनियाभर के समाजों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई हैं। उन्होंने कहा, “समाज में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कानूनी ढांचे में बदलाव की आवश्यकता है। लेकिन यह तभी संभव है जब आम सहमति हो। यदि संसद और समाज सहमत होते हैं, तो हम एआई पर नया कानून लाने के लिए तैयार हैं।”
सुरक्षा एजेंसियों के लिए मैसेजिंग एप चुनौती
संसद में चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सुरक्षा एजेंसियों के सामने आ रही चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि टेलीग्राम, वाइबर और डार्क वेब जैसे मैसेजिंग एप्स कट्टरपंथी तत्वों से निपटने में बड़ी बाधा बन रहे हैं। मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ऑनलाइन कट्टरपंथ से जुड़े कई मामलों की जांच कर रही है। अब तक 325 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है और सैकड़ों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है।
एआई और सुरक्षा पर बहस की जरूरत
एआई के उपयोग और ऑनलाइन सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर संसद में व्यापक बहस की आवश्यकता महसूस की जा रही है। केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि यह तकनीकी युग कई नई चुनौति