चिड़ावा: शनिवार को अधीनस्थ न्यायालयों और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से जुड़े मंत्रालयिक एवं आशुलिपिक संवर्ग के कर्मचारियों ने कैडर पुनर्गठन को लेकर राज्य सरकार की उदासीनता के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। जयपुर में छह दिन से चल रही राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के समर्थन में स्थानीय न्यायिक कर्मचारियों ने भी कोर्ट परिसर में धरना दिया और नारेबाजी करते हुए अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद की।
प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा 25 मई 2022 और 4 अक्टूबर 2022 को जारी अधिसूचनाओं के तहत कैडर पुनर्गठन किया जाना था। इसके अनुसार राजस्थान उच्च न्यायालय ने 6 मई 2023 को प्रस्ताव को अनुमोदित कर राज्य सरकार को आदेश जारी करने के लिए भेजा था। यह प्रस्ताव फुल बेंच की स्वीकृति प्राप्त कर चुका है और संबंधित नियमों में संशोधन की प्रक्रिया भी पूर्ण की जा चुकी है। इसके बावजूद राज्य सरकार की ओर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे कर्मचारियों में गहरा असंतोष है।
कर्मचारियों ने राज्य सरकार पर उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार की लापरवाही न्यायिक व्यवस्था को बाधित कर सकती है। उन्होंने कहा कि जयपुर में संघ के शीर्ष पदाधिकारी भूख हड़ताल पर हैं और यदि उनकी तबीयत बिगड़ती है या कोई अप्रिय स्थिति बनती है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार और न्याय प्रशासन की होगी।
धरने में एडीजे, सेशन और एमजेएम कोर्ट से जुड़े कई कर्मचारी शामिल हुए। इस दौरान रघुवीर सिंह, मनोज मीणा, अंजू, विनोद देवी, संजय गोयल, विजेंद्र सिंह, रामगोपाल, मनीषा, करणी सिंह, अंकित शर्मा, नटवर सिंह, छगन लाल सैनी, संदीप मीणा और राजकुमार लांबा ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई और न्यायिक व्यवस्था में सुधार की मांग करते हुए सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की।





