(एएनआई), रियाद: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा मेरी सबसे बड़ी उम्मीद शांति निर्माता (पीसमेकर) और एकीकरणकर्ता बनना है। मुझे युद्ध पसंद नहीं है। कुछ ही दिन पहले मेरे प्रशासन ने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ती हिंसा को रोकने के लिए ऐतिहासिक युद्धविराम सफलतापूर्वक करवाया। मैंने काफी हद तक व्यापार का इस्तेमाल किया। मैंने कहा कि चलो एक सौदा करते हैं चलो कुछ व्यापार करते हैं।
भारत-पाकिस्तान के बीच चले चार दिनों के संघर्ष के बाद शनिवार (10 मई) को दोनों देशों ने सीजफायर का एलान किया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका की मध्यस्थता के बाद भारत और पाकिस्तान संघर्ष विराम के लिए तैयार हो गए।
मंगलवार को यूएस-सऊदी निवेश फोरम में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा “मेरी सबसे बड़ी उम्मीद शांति निर्माता (पीसमेकर) और एकीकरणकर्ता बनना है। मुझे युद्ध पसंद नहीं है। कुछ ही दिन पहले, मेरे प्रशासन ने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ती हिंसा को रोकने के लिए ऐतिहासिक युद्धविराम सफलतापूर्वक करवाया। मैंने काफी हद तक व्यापार का इस्तेमाल किया।”
ट्रंप ने आगे कहा कि मैंने कहा कि चलो एक सौदा करते हैं, चलो कुछ व्यापार करते हैं। चलो परमाणु मिसाइलों का व्यापार नहीं करते, चलो उन चीजों का व्यापार करते हैं जिन्हें आप इतनी खूबसूरती से बनाते हैं।”
संघर्ष के दौरान मार्को रुबियो ने दोनों देशों के नेताओं से की थी बात
ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिकी विदेश सचिव मार्को रुबियो ने दोनों देशों के मध्यस्थता में अहम भूमिका निभाई है। सैन्य कार्रवाई के दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से फोन पर बातचीत की थी। वहीं, मार्को रुबियो ने पाकिस्तान से भी बातचीत की थी।
हालांकि, भारत ने साफ तौर पर कहा है कि दोनों देशों के बीच हुए सीजफायर समझौते में अमेरिका को कोई योगदान नहीं है। संघर्ष के दौरान भारत और अमेरिकी नेताओं के बीच महज बातचीत हो रही थी। सीजफायर के लिए अमेरिका और भारत के बीच कोई डील नहीं हुई है।
सीजफायर समझौते में ट्रेड का कोई जिक्र नहीं: विदेश मंत्रालय
वहीं, मंगलवार को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साफ तौर पर कहा है कि कश्मीर का मुद्दा द्विपक्षीय तरीके से ही सुलझाया जाएगा। विदेश मंत्रालय ने साफ तौर पर कहा है कि सीजफायर समझौते में ट्रेड का जिक्र नहीं है। पाकिस्तान के पहल पर ही डीजीएमओ की बातचीत हुई। वहीं, भारत किसी भी हाल में पाकिस्तान की ब्लैकमेलिंग बर्दाश्त नहीं करेगा।