झुंझुनूं: जिले के 236 अधिवक्ताओं को बार काउंसिल ऑफ राजस्थान (BCR) ने प्रैक्टिस करने से रोक दिया है। यह कार्रवाई बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के निर्देशानुसार की गई है। इन वकीलों को डी-बार कर दिया गया है क्योंकि वे अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) को निर्धारित समय सीमा के भीतर पास करने में विफल रहे। इस निर्णय के बाद जिले के अधिवक्ताओं में भारी असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
बार काउंसिल ऑफ राजस्थान ने झुंझुनूं कोर्ट परिसर में डी-बार किए गए वकीलों की सूची जारी की है। इस सूची में प्रत्येक अधिवक्ता का नाम, एनरोलमेंट नंबर और एलएलबी पास करने का वर्ष दर्ज है। सूची के अनुसार, जिन वकीलों ने एलएलबी पूरा करने के बाद दो वर्षों के भीतर AIBE परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की, उन्हें प्रैक्टिस करने से रोक दिया गया है।
पुराने वकील भी प्रभावित:
इस निर्णय की चपेट में वे वकील भी आए हैं जो पिछले 10-15 वर्षों से वकालत कर रहे थे। इनमें से कई अधिवक्ता झुंझुनूं बार एसोसिएशन के चुनावों में भाग ले चुके हैं और कुछ बार कार्यकारिणी के सदस्य भी रह चुके हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें इस नियम की जानकारी नहीं थी और अब उनकी आजीविका पर संकट आ गया है।
BCI के नियम:
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नए नियमों के अनुसार, जो भी अधिवक्ता 1 जुलाई 2010 के बाद एलएलबी पास करते हैं, उन्हें वकालत के पंजीकरण के दो वर्षों के भीतर AIBE परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य है। यदि कोई वकील इस परीक्षा में असफल रहता है, तो उसका पंजीकरण स्वतः निरस्त हो जाता है और वह अदालत में पैरवी नहीं कर सकता।
संशोधित सूची जल्द:
हालांकि, इस सूची में कुछ ऐसे वकील भी शामिल हैं जिन्होंने 2024 या 2025 में रजिस्ट्रेशन करवाया है और जिनकी अभी तक परीक्षा भी नहीं हुई है। बार काउंसिल ऑफ राजस्थान ने बताया कि जल्द ही इसकी संशोधित सूची जारी की जाएगी, जिसके बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि कितने वकीलों को डी-बार किया गया है।
अधिवक्ताओं की प्रतिक्रिया:
इस निर्णय से प्रभावित अधिवक्ताओं ने इसे अनुचित बताया है। उनका कहना है कि उन्हें इस नियम की जानकारी नहीं थी और उन्हें परीक्षा देने का पर्याप्त अवसर भी नहीं मिला। कई वकीलों ने बार काउंसिल से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की है।
बार काउंसिल ऑफ राजस्थान का यह कदम अधिवक्ताओं के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है। अब सभी की निगाहें संशोधित सूची पर टिकी हैं, जो जल्द ही जारी की जाएगी। इस बीच, प्रभावित वकीलों ने अपनी आजीविका बचाने के लिए बार काउंसिल से राहत की उम्मीद जताई है।