राजस्थान: राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र शुक्रवार को विपक्षी विधायकों द्वारा किए गए जमकर हंगामे के कारण सुर्खियों में आ गया। इस हंगामे के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा समेत 6 विपक्षी विधायकों को सस्पेंड कर दिया है। हंगामे के चलते विधानसभा की कार्यवाही को तीन बार स्थगित किया गया, और अंत में कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। निलंबन के खिलाफ कांग्रेस विधायकों ने सदन में धरने पर बैठने का निर्णय लिया।
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हंगामे की वजह
यह पूरा हंगामा शुक्रवार को प्रश्नकाल के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के संदर्भ में एक अनुचित टिप्पणी किए जाने से हुआ। मंत्री अविनाश गहलोत ने कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास संबंधी एक सवाल के जवाब में विपक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा कि “2023-24 के बजट में आपने हर बार की तरह अपनी ‘दादी’ इंदिरा गांधी के नाम पर इस योजना का नाम रखा था।” गहलोत का यह बयान विपक्षी विधायकों के लिए बेहद आपत्तिजनक साबित हुआ और इसी के बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया।
विपक्ष का विरोध और हंगामा
अविनाश गहलोत के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने मंत्री से माफी की मांग की और बयान को विधानसभा की कार्यवाही से हटाने का अनुरोध किया। जब उनकी बात नहीं मानी गई, तो विपक्षी विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे के बीच संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि “दादी तो सम्मानित शब्द है”, लेकिन विपक्षी विधायक इस पर संतुष्ट नहीं हुए।
निलंबन और कांग्रेस का विरोध
हंगामे के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने छह विपक्षी विधायकों को सस्पेंड कर दिया, जिसमें कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी शामिल थे। इसके खिलाफ कांग्रेस ने विरोध जताया और विधायक सदन में धरने पर बैठ गए। गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि “इंदिरा गांधी जी का अपमान राजस्थान सहन नहीं करेगा,” और उन्होंने अविनाश गहलोत से माफी की मांग की।
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पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस मुद्दे पर बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “राजस्थान की भाजपा सरकार विधानसभा चलाना नहीं चाहती है। मंत्री अविनाश गहलोत की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री पर की गई अनुचित टिप्पणी को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।”
बीजेपी और कांग्रेस के बीच राजनीतिक खींचतान
राजनीतिक दृष्टि से यह घटना बीजेपी और कांग्रेस के बीच गहरे मतभेदों को उजागर करती है। कांग्रेस ने अविनाश गहलोत के बयान को न सिर्फ अपमानजनक बल्कि अनर्गल भी बताया, जबकि बीजेपी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है। इस घटनाक्रम ने विधानसभा सत्र को ही सुर्खियों में ला दिया है और दोनों दलों के बीच तकरार को और बढ़ा दिया है।