चिड़ावा, 11 अक्टूबर 2024: सिंघाना सड़क मार्ग पर लालचौक स्थित बस स्टैंड पर नहर की मांग को लेकर किसानों का धरना आज 284वें दिन भी जारी रहा। किसान सभा के बैनर तले यह आंदोलन पिछले दस महीनों से चल रहा है, लेकिन सरकार की उदासीनता और सुनवाई न होने के कारण किसानों के सब्र का बांध टूटता नजर आ रहा है। आंदोलनरत किसानों का कहना है कि जब सरकार उनकी सुनवाई ही नहीं कर रही है, तो नहर की उम्मीद करना व्यर्थ है। हालांकि, किसानों ने साफ कर दिया है कि वे बिना नहर के धरने से नहीं उठेंगे।
पानी के बिना खेती असंभव, जीवन संकट में
धरने पर बैठी बुजुर्ग महिला सुनिता देवी किढवाना ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार की उदासीनता ने आम जनता को गहरी निराशा में डाल दिया है। उन्होंने कहा, “पानी के बिना जीवन चलाना मुश्किल हो गया है। खेती नहीं हो रही है, पशुधन का भी पालन मुश्किल है और आय के अभाव में घर का खर्च चलाना दूभर हो गया है। सक्षम लोग पलायन कर रहे हैं, लेकिन आमजन कहां जाएगा?”
सुनिता देवी ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा, “सरकार ऐसी स्थिति में केवल देख रही है, मानो बिना कुछ किए ही काम चल जाएगा। परंतु यह रामराज्य नहीं है, जहां सब कुछ सही हो। जनता को खुद अपनी लड़ाई लड़नी होगी। अगर जनता नहर की मांग के लिए खड़ी नहीं होती, तो अगली पीढ़ी प्यास से मर जाएगी।”
किसानों की लड़ाई में समर्थन की अपील
लालचौक नहर आंदोलन के प्रमुख किसान लगातार आंदोलन का समर्थन करने की अपील कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि लोगों को अपना जीवन बचाना है, तो उन्हें इस आंदोलन में शामिल होना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगले साल तक पानी की व्यवस्था नहीं हुई, तो इस क्षेत्र के लोगों को अपना घर-बार छोड़कर पलायन करना पड़ेगा।
धरने के मुख्य वक्ताओं ने ग्रामीणों से अपील की कि वे इस आंदोलन में शामिल होकर किसानों का साथ दें, ताकि नहर की मांग पूरी हो सके। आंदोलन के मुख्य नेता रोजाना अपनी बात रख रहे हैं, लेकिन जब तक अधिक संख्या में लोग आंदोलन से नहीं जुड़ते, तब तक उनकी आवाज़ को वह प्रभाव नहीं मिलेगा, जो आवश्यक है।
धरने पर किसानों की उपस्थिति
धरने को संबोधित करने वालों में जिला महामंत्री मदनसिंह यादव, उपाध्यक्ष बजरंग बराला, नहर आंदोलन के प्रवक्ता विजेन्द्र शास्त्री, उपसचिव ताराचंद तानाण, जन जागृति यात्रा के संयोजक रणधीर ओला, नौजवान सभा के जयन्त चौधरी, सौरभ सैनी, करण कटारिया, सतराम, अमित, हरिसिंह बसेरा, राजेश चाहर, दीनदयाल, रामनिरंजन, सत्यवान, विकास, कुलदीप, अजय, संजय, मनीराम, रोबिन, रघुवीर, अनिल समेत अनेक किसान मौजूद रहे।