नई दिल्ली: खालिस्तानी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ (SFJ) के आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने हाल ही में एक नया वीडियो जारी कर भारत के खिलाफ जहर उगला है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पन्नू ने कहा कि पंजाब के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी भारत की एकता और अखंडता के खिलाफ आंदोलन चलाया जाएगा। उसने यह भी घोषणा की कि SFJ का मिशन 2024 तक “वन इंडिया” को 2047 तक “नन इंडिया” में बदलना है।
कनाडा के बयान के बाद पन्नू की धमकी
यह वीडियो कनाडा के विदेश मामलों के डिप्टी मिनिस्टर डेविड मोरिसन के हालिया बयान के बाद आया है। मोरिसन ने स्पष्ट रूप से कहा था कि कनाडा भारत की क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन करता है और भारत को एक संपूर्ण देश के रूप में मान्यता देता है। मोरिसन के बयान पर पन्नू की प्रतिक्रिया ने खालिस्तानी एजेंडे को पुनः उजागर किया है। पन्नू और उसका संगठन, SFJ, लंबे समय से पंजाब से अलग एक ‘खालिस्तान’ राज्य की मांग कर रहे हैं और इसके लिए वे कथित तौर पर एक ग्लोबल रेफरेंडम आयोजित करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, पन्नू की इन मांगों को पंजाब में कोई खास समर्थन नहीं मिलता है।
पन्नू का भारतीय राज्यों को बांटने का प्रयास
पन्नू ने अपने इस वीडियो में न केवल पंजाब, बल्कि जम्मू-कश्मीर, असम, मणिपुर और नागालैंड में भी पूर्ण आजादी आंदोलन चलाने की धमकी दी। उसकी यह बयानबाजी भारत की संप्रभुता और अखंडता पर गंभीर सवाल खड़े करती है। यह ध्यान देने योग्य है कि गुरपतवंत सिंह पन्नू अमेरिका के न्यूयॉर्क में वकालत करता है और वहां से ही खालिस्तानी आंदोलन का संचालन करता है।
चीन से अरुणाचल प्रदेश पर पन्नू की अपील
अपने बयान को और विवादास्पद बनाते हुए, पन्नू ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से अरुणाचल प्रदेश को वापस लेने की अपील की। उसने अपने वीडियो में झूठा दावा किया कि अरुणाचल प्रदेश चीन की सीमा का हिस्सा है और शी जिनपिंग को अपनी सेना को इस क्षेत्र पर कब्जा करने का आदेश देना चाहिए। यह पहली बार नहीं है कि पन्नू ने इस तरह के भड़काऊ बयान दिए हैं, लेकिन यह नई अपील चीन को भारत के खिलाफ और उकसाने का प्रयास है।
‘2047 नन इंडिया’ का नारा
गुरपतवंत सिंह पन्नू ने अपने इस वीडियो में एक पोस्टर के सामने खड़े होकर बयान दिया, जिसमें “2047 नन इंडिया” लिखा हुआ था। पन्नू ने कहा कि SFJ कनाडा और अमेरिका में मिले सुरक्षा तंत्र का इस्तेमाल करके अपने आंदोलन को बढ़ाता रहेगा और भारत की संप्रभुता को समाप्त करने के प्रयास जारी रखेगा। यह बयान न केवल भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस मुद्दे को उठाता है कि कैसे आतंकवादी संगठन विदेशी धरती का दुरुपयोग कर सकते हैं।