सावन सोमवार 2024: सावन का महीना हिंदू धर्म में भगवान शिव की उपासना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस वर्ष सावन का आरंभ 22 जुलाई से हो रहा है और यह महीना भगवान शिव की भक्ति के लिए अत्यंत फलदायी है। विशेष रूप से सावन के सोमवारों का महत्व अधिक होता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से भगवान शिव की उपासना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सावन सोमवार की पूजा का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि इस दिन भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं सावन सोमवार की पूजा के नियम और उनके महत्व के बारे में।
सावन सोमवार के पूजा के नियम
- भगवान शिव का अभिषेक: सोमवार के दिन भगवान शिव का अभिषेक करना बहुत शुभ फलदायी होता है। इस अभिषेक के लिए जिस दूध का उपयोग किया जाता है, उसे स्वयं सेवन नहीं करना चाहिए। अभिषेक के बाद बचा हुआ दूध किसी जरूरतमंद को दान कर देना चाहिए।
- दिन में न सोएं: शास्त्रों के अनुसार, सावन के सोमवार के दिन दिन में सोना वर्जित है। शाम के समय भगवान शिव का पूरे विधि-विधान के साथ पूजन करें।
- सात्विक भोजन: सावन के पूरे महीने में सात्विक भोजन करना चाहिए। प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा आदि का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
- बेलपत्र: सोमवार के दिन बेल के पत्तों को तोड़कर शिवजी पर नहीं चढ़ाना चाहिए। एक दिन पहले ही बेलपत्र तोड़कर रख लें और उसका उपयोग करें।
- ब्रह्मचर्य का पालन: सावन सोमवार के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। यदि संभव हो तो पति-पत्नी को अलग सोना चाहिए। भगवान शिव की पूजा करते समय केतकी के फूल अर्पित नहीं करने चाहिए।
- स्वच्छ वस्त्र धारण करें: जिस वस्त्र को धारण करके पहले आपने शयन या भोजन किया हो, उसे धारण करके भगवान शिव का पूजन और अभिषेक नहीं करना चाहिए।
- फलाहार में परहेज: सावन सोमवार के दिन फलाहार में दूध और दूध से बनी चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। मन, वाणी और व्यवहार से किसी को भी कष्ट न पहुंचाएं।
सावन सोमवार का महत्व
सावन के महीने में भगवान शिव की उपासना का विशेष महत्व है। इस दौरान उपवास और विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। भगवान शिव की कृपा से व्यक्ति के समस्त कष्ट दूर होते हैं और उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सावन सोमवार को विधिपूर्वक पूजा करने से व्यक्ति को विशेष फल प्राप्त होता है और उसकी समस्त बाधाएं दूर होती हैं।