जयपुर, राजस्थान: राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र में सोमवार को शिव विधानसभा के निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने सरकार से सवाल पूछा। उन्होंने बजट में शिव विधानसभा की अनदेखी पर सरकार को घेरा और अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों के लिए भावुक होते हुए कहा कि सरहदी इलाकों के लोगों को नकार कर उनके साथ कुठाराघात क्यों किया गया।
भावुकता और गुस्से का मिश्रण
रविंद्र सिंह भाटी ने कहा, “शिव विधानसभा की पूरी तरह से अनदेखी से मुझे बहुत पीड़ा, दुख, दर्द और तकलीफ है। हमने तमाम मांगे रखी, इन्होंने सुझाव मांगे तो हमने भर-भर कर सुझाव दिए। लेकिन बजट में शिव विधानसभा का नाम तक नहीं डाला गया।”
उन्होंने बताया कि शिव विधानसभा के तमाम लोग, भाई, बहन, बुजुर्गों ने पूछा कि शिव का नाम क्यों नहीं आया। उन्होंने कहा, “मैंने जैसलमेर-बाड़मेर से लोकसभा चुनाव लड़ा इसलिए गुस्सा हैं। जबकि मैं आपसे ही आया हूं, कहीं और से नहीं। अगर गुस्सा हैं तो मुझ पर निकालें, हमारे लोगों ने क्या बिगाड़ा है।”
सरहदी इलाकों के लोगों की अनदेखी पर सवाल
रविंद्र सिंह भाटी ने कहा कि राजस्थान के सरहदी इलाकों के लोगों को नकार कर उनके साथ कुठाराघात किया गया है। “हम उनके लिए मांग रहे थे जो आजादी के बाद तक अभाव में जी रहे हैं। लेकिन बदले में उन्हें क्या मिला?” उन्होंने सरकार से निवेदन किया कि अभावों में जी रहे उन लोगों की ओर देखा जाए। “देश तब मजबूत होगा जब सीमांत के वह लोग मजबूत होंगे।”
राजनीतिक पृष्ठभूमि और विवाद
राजस्थान बजट में बाड़मेर जैसलमेर के लिए कई घोषणाएं की गई, लेकिन शिव विधानसभा के लिए किसी तरह की घोषणा नहीं की गई। रविंद्र सिंह भाटी ने विधानसभा चुनाव में बीजेपी से बगावत कर शिव विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था और बड़ी जीत हासिल की थी। हालांकि, इसके बाद उन्होंने बीजेपी में शामिल होने की काफी कवायद की, लेकिन आखिर में वह बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने का फैसला किया। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
बीजेपी के लोगों का कहना है कि अगर रविंद्र भाटी चुनाव नहीं लड़ते तो वहां बीजेपी उम्मीदवार की जीत संभव थी। इससे साफ है कि पार्टी के भीतर उनके खिलाफ नाराजगी भी है।