देवरोड़ – केईएम कॉलेज, मुंबई से आये इंटर्न्स का एक ग्रुप एक्सपोजर भ्रमण के लिए महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय, देवरोड़ पहुंचा। इंटर्न्स का मुख्य उद्देश्य शिक्षा एवं स्वास्थ्य की बारीकियों को समझना था। इसके अलावा इंटर्न्स के ग्रुप ने पीरामल फाउंडेशन के सहयोग से विद्यालय में चल रहे नवाचार कार्यक्रमों जैसे सामाजिक, भावनात्मक एवं नैतिक शिक्षण को संस्था प्रधान, शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं बच्चों से मुलाकात कर उनके अनुभवों के माध्यम से समझा।
डॉक्टर्स ने संस्था प्रधान सीमा दूत से विद्यालय प्रक्रियाओं, नवाचारों एवं सी लर्निंग कार्यक्रम के माध्यम से शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं बच्चों में हो रहे परिवर्तनों के बारे में जाना और ये समझने की कोशिश की कि किस तरह वह एक लीडर के रूप में अपने विद्यालय के बच्चों को सीखने-सिखाने के लिए अलग-अलग प्लेटफार्म दे रही हैं, जिससे बच्चे 21वीं सदी के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं।
इंटर्न्स ने विद्यालय में कक्षा कक्षों का भी दौरा किया, जहां उन्होंने बच्चों से सी लर्निंग एवं अन्य विषयों के बारे में जाना। बच्चों ने अपने अनुभवों को साझा किया और बताया कि कैसे इमोशन व्हील के माध्यम से अपनी भावनाओं को पहचानते हैं, हेल्प नाउ गतिविधियों के माध्यम से ओके जोन आकर पढ़ाई करते हैं। डॉक्टर ने बच्चों से ये भी जाना कि वह आगे कैरियर में क्या करना चाहते हैं और उन्हें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किस प्रकार की सहायता की ज़रूरत है।
इस दौरान स्कूल की सभी बच्चियों के साथ मेन्स्ट्रुअल हाइजीन के बारे में एक महत्वपूर्ण सत्र का आयोजन भी किया गया, जहां बच्चियों ने खुलकर अपनी बातें डॉक्टर्स के समक्ष रखी। उन्होंने बच्चियों को माहवारी के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें सिखाई और महत्वपूर्ण सवालों का उत्तर दिया।
सत्र के सफल आयोजन के बाद मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी मनीष चाहर, संस्था प्रधान एवं महिला शिक्षकों द्वारा टीम की सराहना की गई।
विद्यालय विजिट के उपरांत गांधी फेलो हरीश के साथ इंटर्न्स के ग्रुप ने उप स्वास्थ्य केन्द्र, देवराड़ का दौरा भी किया जहां डॉक्टरों के साथ स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर विस्तृत चर्चा की गई।
मुंबई से आई इन इंटर्न – डॉक्टर्स की टीम द्वारा विद्यालय में किये जा रहे नवाचारों की सराहना की गई। इस एक्सपोजर भ्रमण को सफ़ल बनाने में संस्था प्रधान सीमा दूत, सील एम्बेसडर सुभीता, जयसिंह धनखड़, सुमन, गायत्री, सुनीता व समस्त शिक्षक-शिक्षिकाओं का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।