ओडिशा, 14 जुलाई 2024: ओडिशा के पुरी में स्थित ऐतिहासिक जगन्नाथ मंदिर का ‘रत्न भंडार’ रविवार को 46 साल बाद फिर से खोला गया। अधिकारियों ने बताया कि इस रत्न भंडार को आभूषणों और अन्य मूल्यवान वस्तुओं की सूची बनाने तथा भंडार गृह की मरम्मत करने के उद्देश्य से खोला गया है। इससे पहले इसे 1978 में खोला गया था।
ऐतिहासिक महत्व और राजनैतिक पृष्ठभूमि
जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार ओडिशा की संस्कृति और धार्मिक धरोहर का अहम हिस्सा है। हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों के दौरान रत्न भंडार का मुद्दा बड़ा राजनीतिक विषय बन गया था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तत्कालीन सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) पर इसकी खोई हुई चाबियों को लेकर निशाना साधा था और वादा किया था कि अगर वह चुनाव जीतती है तो रत्न भंडार को फिर से खोला जाएगा।
ओडिशा के मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा गया, “भगवान जगन्नाथ की इच्छा पर उड़िया समुदाय ने ‘उड़िया अस्मिता’ की पहचान के साथ आगे बढ़ने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। आपकी इच्छा पर ही जगन्नाथ मंदिर के चारों द्वार खोले गए थे। आज आपकी इच्छा पर ही 46 साल बाद रत्न भंडार को एक बड़े उद्देश्य के लिए दोपहर एक बजकर 28 मिनट पर शुभ घड़ी पर खोला गया।”
रत्न भंडार खोलने की प्रक्रिया
अधिकारियों ने बताया कि रत्न भंडार को खोलते समय 11 लोग मौजूद थे, जिनमें उड़ीसा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश विश्वनाथ रथ, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षक डीबी गड़नायक और पुरी के नाममात्र राजा ‘गजपति महाराजा’ के एक प्रतिनिधि शामिल थे।
मंदिर में प्रवेश करने से पहले पाधी ने कहा कि रत्न भंडार पुनः खोल दिया गया है, लेकिन मूल्यवान वस्तुओं की सूची तत्काल नहीं बनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि रत्न भंडार के आंतरिक और बाहरी कक्षों में रखे गए आभूषण और अन्य मूल्यवान वस्तुओं को लकड़ी के संदूकों में बंद कर अस्थायी सुरक्षित कमरे में रखा जाएगा।
सुरक्षा और सूची तैयार करने के उपाय
अस्थायी सुरक्षित कमरे की पहचान कर ली गई है और वहां सीसीटीवी कैमरे लगाने सहित सभी आवश्यक व्यवस्थाएं भी की गई हैं। पाधी ने कहा, “वस्तुओं की सूची तैयार करने का काम आज शुरू नहीं होगा। यह कार्य मूल्यांकनकर्ताओं, सुनारों और अन्य विशेषज्ञों को नियुक्त किए जाने पर सरकार की मंजूरी मिलने के बाद किया जाएगा। हमारी पहली प्राथमिकता रत्न भंडार की संरचना की मरम्मत करना है।”
उन्होंने बताया कि रत्न भंडार के बाहरी कक्ष की तीन चाबियां उपलब्ध थीं, जिनमें से एक गजपति महाराज के पास, दूसरी एसजेटीए के पास और तीसरी एक सेवक के पास थी। आंतरिक कक्ष की चाबी गायब है, जिसे नई चाबी से खोलने के बाद सील कर दिया जाएगा और जिलाधिकारी की निगरानी में नई चाबी को जिला कोषागार में रखा जाएगा।
मरम्मत कार्य और भविष्य की योजनाएं
रत्न भंडार में रखे गए कीमती सामान को ले जाने के लिए लकड़ी के छह संदूक मंदिर में लाए गए हैं। इन संदूकों के अंदरूनी हिस्से में पीतल लगा हुआ है। एक अधिकारी ने बताया कि सागवान की लकड़ी से बने ये संदूकें 4.5 फुट लंबी, 2.5 फुट ऊंची और 2.5 फुट चौड़ी हैं।
इस पूरी प्रक्रिया के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की गई है। इसमें तीन एसओपी शामिल हैं: एक रत्न भंडार को फिर से खोलने से संबंधित, दूसरा अस्थायी रत्न भंडार के प्रबंधन के लिए, और तीसरा कीमती सामान की सूची से संबंधित है। सरकार ने रत्न भंडार में मौजूद बहुमूल्य वस्तुओं की डिजिटल सूची तैयार करने का निर्णय लिया है, जिसमें उनके वजन और निर्माण आदि का विवरण दिया जाएगा।
एएसआई के अधीक्षक गड़नायक ने बताया कि रत्न भंडार की मरम्मत करने के लिए मैकेनिकल, सिविल और ढांचागत निर्माण कार्य से जुड़े कई अभियंता निरीक्षण करेंगे।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की प्रतिमाएं फिलहाल गुंडिचा मंदिर में हैं, जहां उन्हें सात जुलाई को रथ यात्रा के दौरान ले जाया गया था। अगले सप्ताह बाहुदा यात्रा के दौरान उन्हें जगन्नाथ मंदिर में वापस स्थापित किया जाएगा। इस अवसर पर न्यायमूर्ति रथ और पाधी ने गुंडिचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों की पूजा-अर्चना की और इस कार्य के सुचारु रूप से पूरा होने की कामना की।