नई दिल्ली, 01 अगस्त 2024: स्वाति मालीवाल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक सचिव विभव कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई की। इस सुनवाई के दौरान अदालत ने दिल्ली सरकार पर कड़ी फटकार लगाई और सवाल उठाया कि क्या इस तरह के व्यक्ति को मुख्यमंत्री के आवास में काम करना चाहिए।
मामले की पृष्ठभूमि
इस साल की शुरुआत में, आम आदमी पार्टी (आप) की सांसद स्वाति मालीवाल ने आरोप लगाया था कि उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर कथित रूप से विभव कुमार ने हमला किया था। इस घटना की एफआईआर 16 मई को दर्ज की गई थी, जिसमें कुमार पर आपराधिक धमकी, महिला पर हमला, और गैर इरादतन हत्या का प्रयास जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया गया था।
अदालत की तीखी टिप्पणियाँ
जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता, और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने विभव कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार से सवाल किया, “क्या मुख्यमंत्री का आवास एक निजी बंगला है? क्या इस तरह के ‘गुंडे’ मुख्यमंत्री के आवास में काम करने चाहिए?” पीठ ने यह भी कहा कि अदालत दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दर्ज की गई घटना के विवरण से हैरान है। कोर्ट ने पूछा कि स्वाति मालीवाल ने पुलिस हेल्पलाइन पर कॉल करके क्या संकेत दिया और क्या आरोपी ने उनके साथ शारीरिक हिंसा की थी।
जमानत याचिका और आरोप
विभव कुमार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। कुमार का दावा है कि उनके खिलाफ आरोप झूठे हैं और जांच पूरी होने के बाद अब उनकी हिरासत की आवश्यकता नहीं है। वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी, जिन्होंने कुमार का पक्ष रखा, ने कहा कि मालीवाल को लगी चोटें गंभीर नहीं थीं और एफआईआर घटना के तीन दिन बाद दर्ज की गई थी। उन्होंने यह भी बताया कि विभव कुमार पिछले 75 दिनों से न्यायिक हिरासत में हैं।
उच्च न्यायालय का आदेश
दिल्ली उच्च न्यायालय ने विभव कुमार की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि आरोपी का ‘काफी प्रभाव’ है और उसे जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता। अदालत ने यह भी कहा था कि अगर कुमार को जमानत दी जाती है, तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं या सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं।
आगे की कार्यवाही
सुप्रीम कोर्ट ने विभव कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई को अगले बुधवार(7 अगस्त) तक टाल दिया है और दिल्ली सरकार को इस मामले में नोटिस जारी किया है।