सुलताना: क्षेत्र में शिक्षा और सामाजिक सरोकारों की एक प्रेरणादायी मिसाल सामने आई है। राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय केहरपुरा कलां सहित अधीनस्थ विद्यालय श्यामपुरा और मटाना में विद्यार्थियों के लिए स्वेटर वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर भामाशाह प्रदीप कुमार सरावग ने न केवल 131 विद्यार्थियों को स्वेटर वितरित किए, बल्कि श्यामपुरा गांव के विद्यालय में ट्यूबवेल निर्माण की घोषणा कर शिक्षा के साथ बुनियादी सुविधाओं को भी मजबूती देने का संकल्प जताया।
राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय केहरपुरा कलां एवं इसके अधीनस्थ विद्यालय श्यामपुरा और मटाना में आयोजित स्वेटर वितरण कार्यक्रम क्षेत्र के लिए खास रहा। पीईईओ विद्यालय के प्रधानाचार्य योगेश कुमार शर्मा ने जानकारी दी कि यह पहल पीईईओ कमला चाहर की प्रेरणा से संभव हो पाई। भामाशाह प्रदीप कुमार सरावग के सहयोग से तीनों विद्यालयों की कुल 131 छात्राओं को ठंड से राहत देने के उद्देश्य से स्वेटर वितरित किए गए।
कार्यक्रम के दौरान प्रदीप कुमार सरावग ने श्यामपुरा गांव के विद्यालय में ट्यूबवेल निर्माण कराने की घोषणा की। इस घोषणा से विद्यालय में अध्ययनरत छात्राओं और शिक्षकों में उत्साह का माहौल देखने को मिला। क्षेत्र में शिक्षा के साथ-साथ मूलभूत सुविधाओं के विस्तार को लेकर इस निर्णय को अहम माना जा रहा है।

अपने संबोधन में प्रदीप कुमार सरावग ने विद्यार्थियों को अनुशासन और कड़ी मेहनत का महत्व बताया। उन्होंने भावुक क्षणों में साझा किया कि यह सेवा कार्य उन्होंने अपने बड़े बेटे चंचल कुमार के राजकीय सेवा में चयन के बाद प्राप्त होने वाले प्रथम वेतन से किया है। यह बात कार्यक्रम में उपस्थित लोगों के लिए प्रेरणा का विषय बनी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता उप प्रधानाचार्य अनिल कुमार ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में प्रदीप कुमार सरावग उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथियों में दिलीप सरावग, विजेंद्र सरावग, रोहतास सरावग और सक्षम सरावग शामिल रहे। आयोजन में सुनीता, सुलोचना, सरिता, नवीन कुमार, कानाराम, अनीता डैला, सुनील, शंकर लाल, सरोज, लीलाधर, प्रवीण सिंह राठौड़, मिथिलेश, अमरेश सिंह, सुरेश कुमार, अनीता भाटी, मनोज कुमारी, मुकेश कुमारी, इंदू, मोनिका, विजेंद्र सिंह, मंजू देवी, कविता, प्रियंका, दयाराम, संदीप सिंह, पूजा, सीमा और दयाकौर सहित अनेक शिक्षक एवं शारीरिक शिक्षक मौजूद रहे।
इस आयोजन ने सुलताना क्षेत्र में भामाशाह संस्कृति को नई ऊर्जा दी है। शिक्षा के क्षेत्र में इस तरह के सामाजिक सहयोग से न केवल विद्यार्थियों का मनोबल बढ़ता है, बल्कि सरकारी विद्यालयों के प्रति समाज का विश्वास भी मजबूत होता है।





