सुलताना, 6 मई 2025: सुलताना क्षेत्र को पंचायत समिति और उप तहसील का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर गठित संघर्ष समिति ने मंगलवार को एक बड़ा कदम उठाते हुए जिला कलेक्टर से मुलाकात कर उन्हें औपचारिक ज्ञापन सौंपा। समिति के संयोजक कामरेड सुरेश महला के नेतृत्व में पहुंचे प्रतिनिधिमंडल ने सुलताना की भौगोलिक, सामाजिक व प्रशासनिक आवश्यकता का हवाला देते हुए इस मांग को प्राथमिकता देने की अपील की।

सुलताना बना है 40 गांवों का प्रमुख व्यापारिक केंद्र
ज्ञापन में बताया गया कि सुलताना शहर वर्तमान में लगभग 40 गांवों के लिए एक केंद्रीय व्यापारिक एवं सुविधा केंद्र के रूप में कार्य कर रहा है। इसके अतिरिक्त, क्षेत्र की अधिकांश ग्राम पंचायतें चिड़ावा से दूरी के कारण प्रशासनिक कार्यों के लिए समय और संसाधनों की बर्बादी झेल रही हैं। प्रतिनिधियों का कहना था कि ग्रामीणों को प्रमाण पत्र, भूमि संबंधी कार्य, पेंशन एवं अन्य शासकीय सेवाओं के लिए बार-बार चिड़ावा या अन्य दूरवर्ती केंद्रों का रुख करना पड़ता है, जिससे विशेष रूप से बुजुर्गों, महिलाओं और विद्यार्थियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
पंचायत परिसीमन के बाद बढ़ी मांग की प्रासंगिकता
प्रतिनिधिमंडल ने यह भी बताया कि हाल ही में हुए नए पंचायत परिसीमन में चिड़ावा, खेतड़ी, गुढ़ागौड़जी, झुंझुनूं और उदयपुरवाटी पंचायत समितियों के अंतर्गत आने वाले कई गांवों का स्वरूप बदला गया है। इसके कारण इन क्षेत्रों के कई गांव प्रशासनिक रूप से और अधिक दूरस्थ हो गए हैं। ऐसे में, सुलताना को केंद्र बनाकर एक नई पंचायत समिति एवं उप तहसील का गठन जनहित में आवश्यक हो गया है।

संघर्ष समिति ने दी आंदोलन की चेतावनी
ज्ञापन के माध्यम से संघर्ष समिति ने जिला प्रशासन को आगाह किया है कि यदि जल्द ही इस मांग पर उचित कार्यवाही नहीं हुई, तो सुलताना क्षेत्र में व्यापक जन आंदोलन की शुरुआत की जाएगी। समिति ने यह भी स्पष्ट किया कि यह आंदोलन पूर्णतः लोकतांत्रिक होगा, लेकिन क्षेत्रीय जनता के हक के लिए हर आवश्यक कदम उठाया जाएगा।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रमुख सदस्य
जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने वाले प्रतिनिधिमंडल में संयोजक कामरेड सुरेश महला के साथ-साथ
- विजेंद्र धनखड़
- हसन अली लोहार
- मुश्ताक अली तेली
- दिनेश शर्मा
जैसे सक्रिय ग्रामीण नेता प्रमुख रूप से शामिल रहे।