नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट में आपराधिक अपीलों पर सुनवाई पूरी होने के बावजूद लंबे समय तक फैसला सुरक्षित रखने और आदेश न सुनाने पर गंभीर नाराजगी जताई है। शीर्ष अदालत ने इस मामले को बेहद चिंताजनक मानते हुए झारखंड सहित देश के सभी हाई कोर्टों को उन मामलों की जानकारी देने का निर्देश दिया है जिनमें 31 जनवरी 2025 से पहले फैसले सुरक्षित किए जा चुके हैं, लेकिन अब तक आदेश नहीं सुनाया गया है।
चार सप्ताह में सभी हाई कोर्ट को देनी होगी जानकारी
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा है कि सभी हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल चार सप्ताह के भीतर मामलों का ब्योरा सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करें। यह ब्योरा आपराधिक और दीवानी दोनों प्रकार के मामलों का होना चाहिए, जिसमें यह उल्लेख हो कि फैसला किस पीठ—खंडपीठ या एकलपीठ—द्वारा सुरक्षित रखा गया है और संबंधित न्यायाधीशों के नाम भी दिए जाएं।

झारखंड के चार दोषियों की याचिका से शुरू हुआ मामला
यह आदेश झारखंड के चार सजायाफ्ता दोषियों की याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया, जिनका आरोप था कि हाई कोर्ट में उनकी अपीलों पर दो से तीन वर्षों से फैसला सुरक्षित है, लेकिन आदेश नहीं दिया गया। इन चार अपीलों की सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट में क्रमश: 5 जनवरी 2022, 27 अप्रैल 2022, 5 मई 2022 और 7 जून 2022 को पूरी हो चुकी थी।
झारखंड हाई कोर्ट से मांगी गई स्टेटस रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने 23 अप्रैल 2025 को झारखंड हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को आदेश दिया कि वे उन सभी मामलों की स्टेटस रिपोर्ट पेश करें, जिनमें दो महीने से अधिक समय से फैसला सुरक्षित रखा गया है। आदेश के अनुपालन में हाई कोर्ट ने सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट भेजी, जिसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि—
- एक खंडपीठ ने 4 जनवरी 2022 से 16 दिसंबर 2024 के बीच कुल 56 मामलों में फैसला सुरक्षित रखा हुआ है।
- वहीं, 11 अन्य मामलों में एकलपीठ द्वारा सुनवाई पूरी कर ली गई है, पर निर्णय लंबित है।
- इन 11 मामलों की सुनवाई जुलाई 2024 से सितंबर 2024 के बीच पूरी हुई थी।
मीडिया रिपोर्ट पर भी सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान
सुप्रीम कोर्ट ने एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट पर भी संज्ञान लिया, जिसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद झारखंड हाई कोर्ट ने मात्र एक सप्ताह में 75 क्रिमिनल अपीलों का निपटारा कर दिया। शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट को निर्देश दिया है कि—
- इन 75 मामलों की सूची,
- फैसले कब सुरक्षित किए गए,
- कब सुनाए गए,
- और फैसलों की सॉफ्ट कॉपी प्रस्तुत की जाए।
साथ ही, याचिकाकर्ताओं के चार मामलों की स्थिति भी स्पष्ट की जाए।

अब देशभर के हाई कोर्टों से मांगी गई रिपोर्ट
अब सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के साथ-साथ देश के सभी हाई कोर्टों के रजिस्ट्रार जनरलों को निर्देशित किया है कि वे—
- 31 जनवरी 2025 से पहले के सभी लंबित सुरक्षित फैसलों की सूची दें।
- आपराधिक और दीवानी मामलों को अलग-अलग श्रेणियों में दर्ज करें।
- यह स्पष्ट करें कि फैसला खंडपीठ या एकलपीठ द्वारा सुरक्षित रखा गया है।
- फैसले सुरक्षित रखने वाले न्यायाधीशों के नाम भी रिपोर्ट में दर्शाए जाएं।
याचिकाकर्ताओं की जमानत पर 13 मई को सुनवाई
इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट अब 13 मई 2025 को याचिकाकर्ताओं की जमानत याचिका पर सुनवाई करेगा। कोर्ट ने झारखंड लीगल सर्विस अथॉरिटी को निर्देश दिया है कि वह इस आदेश के आधार पर उचित कार्रवाई करे ताकि जिनकी अपीलें लंबित हैं, उन्हें भी सजा निलंबन या जमानत का लाभ मिल सके।