नई दिल्ली: भारतीय मूल की प्रसिद्ध अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुश विल्मोर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर फंसे हुए हैं। बोइंग स्टारलाइनर में तकनीकी खराबी आने के कारण उनकी वापसी में देरी हो गई है। नासा ने अब उनकी वापसी के लिए फरवरी 2025 का समय तय किया है, जिससे विलियम्स अंतरिक्ष में लगभग आठ महीने बिताएंगी।
कल्पना चावला की यादें ताजा
इस लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने के कारण विलियम्स ने एक और भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री, कल्पना चावला की यादें ताजा कर दी हैं। कल्पना चावला भारतीय मूल की पहली अंतरिक्ष यात्री थीं जिन्होंने अंतरिक्ष की यात्रा की थी। दुर्भाग्यवश, 2003 में कोलंबिया अंतरिक्ष शटल दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी। विलियम्स की वर्तमान स्थिति ने नासा और दुनिया भर के लोगों को कल्पना चावला की बहादुरी और बलिदान की याद दिला दी है।
नासा की चिंताएं
नासा के प्रमुख नेल्सन ने इस घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अंतरिक्ष उड़ान हमेशा जोखिम भरी होती है, खासकर परीक्षण उड़ानें। उन्होंने कहा कि बुच और सुनीता को आईएसएस पर रखने का निर्णय सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया गया है।
कल्पना चावला का सफर
कल्पना चावला का जन्म हरियाणा के करनाल में हुआ था। बचपन से ही उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान में गहरी रुचि थी। उन्होंने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की और बाद में अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त की। 1994 में वह नासा में शामिल हुईं और 1997 में अपनी पहली अंतरिक्ष उड़ान पर गईं।
वर्तमान स्थिति और आगे का रास्ता
विलियम्स और विल्मोर को स्पेसएक्स के माध्यम से वापस लाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए उन्हें फरवरी तक आईएसएस पर ही रहना होगा। स्टारलाइनर को बिना चालक दल के पृथ्वी पर वापस लाने की भी योजना है। इंजीनियरों ने स्टारलाइनर के खराब थ्रस्टरों में से कुछ को ठीक कर लिया है, लेकिन यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि यह सफलतापूर्वक पृथ्वी पर लौट पाएगा या नहीं।